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पूर्वजों के रक्त कणों से
निर्मित यह आजाद हिन्द है।
जिसके ज्ञान ओज आभा से
प्रमुदित सारा दिकदिगंत है ।।
गर्व करें मानव होने पर
जनहित चिंतन-प्रेरित होकर
और करें सम्मान सभी का
मर्यादा के पोषक बनकर ।।
एक सवर्ण है, एक दलित है
कई वर्ण और भाषाएँ हैं।
ये विभेद तो राजनीति के
मैचीनील की शाखाएं हैं ।।
जाति धर्म के इस कुचक्र में
मानवधर्म को विस्मृत करके
फंसे हुए मिथ्याभिमान में
क्यों राजनीतिहित अमृत बनके ??
कुटिल स्वार्थ से जनित विचार
वंचित रख swatyantr बोध से।
रखते पराधीन हमको हैं
जैसे हम बालक अबोध से!
मद्यपान पतन का पथ है
मन विभ्रम कर दास बनाता।
निर्बल अनुशासन को करके
क्षीण चरित्र का ग्रास बनाता ।।
आओ सखे!साकार करें हम
सपना नशामुक्त भारत का।
विश्व करे परिवर्तन दर्शन
भारत की इस युव ताकत का ।।
हम जाग्रत हों] देशभक्त हों
स्वतंत्रता के मर्म को जानें।
कलुषित अभिलाषा इच्छाओं को
दृढ़-संकल्पित हो कर त्यागें ।।
मर्दन करें परम्पराओं का जो
प्रगतिमार्ग में अवरोधक बन।
करती हैं समाज का शोषण
तथाकथित धर्मरक्षक बन।।
द्रुत परिवर्तन भावी है अब
श्रेयस होगा हम स्वीकारें।
परिवर्तन के अग्रदूत बन
नए राष्ट्र का स्वप्न साकारें ।।
करें विचारों को स्वतंत्र
बन चंचरीक रस लें पुष्पों का ।
स्वतंत्रता की मधुरिम बेलें
आतुर आलिंगन को सबका।।
*मचीनील is known as the most poisonous tree in the world.
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