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हँसता है प्रत्यक्ष रूप से जिस पर सारा ये जहान
ऐसा है अतुलित अपना ये भारत देश महान.
कर गए अत्याचार मुग़ल अंग्रेज हमारी धरती पर
खिलजी तुग़लक और लोदी ने कोढ़े बरसाए छाती पर,
शरणार्थी जो बन कर आये, बन गए वही अविचलित पहान
धन दौलत सब गयी देश से फिर भी कहते हम उन्हें महान.
(सिकंदर महान…अकबर महान)!!
ये तो थी इतिहास की बातें देश चला अब वर्तमान में
कर्महीन की है हर गद्दी गाँधी के इस हिंदुस्तान में,
भ्रष्टाचार अराजकता से ग्रसित है सारा हिंदुस्तान
श्रेष्ठ किन्तु निर्धन लोगों के जाने को आतुर हैं प्राण.
गाँधी के सपनो का भारत ऐसा तो यार नहीं था
अर्पण करने का था जज्बा, दिखावटी प्यार नहीं था,
पर आज हमारे प्रजातंत्र में प्रजा के रक्षक ऐसे हैं
बापू की समाधि को छल जाते नेता कैसे कैसे हैं.
काश! अगर भारत माता पर अंग्रेजों का ही शासन होता
होते हम परतंत्र भले पर स्वतंत्रता का भ्रम न होता
सच्ची आजादी की खातिर हम सब का बलिदान तो होता
पर मां को था हम पर जो वो चूर चूर अभिमान न होता.
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