काश ! मेरे शब्द बोल
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लिखने की कोशिश करता हूँ
पर लिख पाता नही।
न जाने क्यों
मेरे शब्द ठहर पाते नहीं।।
अक्षर ढूंढ ढूंढ कर
शब्द बनाता हूँ
उन शब्दों से
तुम्हे सजाता हूँ।
पर तुम;
अपने ख्यालों में गुम सुम
शब्दों से रचित
मेरी विचार धारा तोड़ देती हो।।
काश ! मेरे शब्द बोल पाते
अपने मोल से तुम्हे तोल पाते।
तब तुम्हे मेरे हृदय का अनुमान होता
मेरी करुणा भरी मोहब्बत का ज्ञान होता।।
………………………अरविन्द राय
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