काश ! मेरे शब्द बोल
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नारी शक्ति को सादर प्रणाम !
प्रकृति ने अपने आप मे एक से बढ़कर एक अद्भुत चीज संजो रखी है।
मैं जब भी अपनी अंतरआत्मा से देखता हूँ,
एक नारी से बढ़कर ,एक औरत से बढ़कर ,एक माँ से बढ़कर ,एक बच्ची से बढ़कर ,एक बीवी से बढ़कर ,एक बहन से बढ़कर ,एक बेटी से बढ़कर कोई दूसरी शक्ति हो ही नहीं सकती।
मैं और मेरे जैसे करोड़ो भक्त्त जगत जननी ,आदिशक्ति,महामाया, माँ जगदम्बा को पूजते है।
जब किसी की शरण नहीं मिलती तो माँ की शरण मे जाना पड़ता है।
कोई पुकार नहीं सुनता पर माँ को तो मानना पड़ता है।
“जन्म देने वाली माँ जन्मभूमि और स्वर्ग दोनों से बढ़कर है”।
जब नारी किसी भी रूप मे हमारे घर मे मुस्कराये तो समझ लेना चाहिए, बरकत ही बरकत है।
हमें उनको दिल से उतना ही मान सम्मान देना चाहिए जितने के लिए हमारी औरो से अपेक्षा है।
……………………………………………………अरविन्द राय
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