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कभी देहरादून शहर के हम लोग ” साक्षर दून सुन्दर दून ” का निवासी होने पर गौरान्वित होते रहे हैं। तब आस -पास के लोग रहन -सहन में ,ज्ञान विज्ञानं में ,शिक्षा -दीक्षा में दोयम थे। फिर हमने विकास के नाम पर उपभोक्ता हो चलने के बाद हम ” स्मार्ट ” हो गए पर गंदगी चारो और फैलती चली गयी। तब हमने इस बात का जोरो से उद्घोष किया कि “स्वच्छ दून सुन्दर दून “. पर हम बना नहीं पाए। दुनिया विद्वत्ता हासिल कर बहुत आगे निकल गयी पर हम साक्षर ही बन पाए। दुनिया ने ” ई – स्मार्ट सीटी ” बसा दिए -बना लिए पर हम ” दून को स्वच्छ और सुन्दर ” नहीं बना पाए।
1977 में जनता पार्टी के टिकट पर शहर से विधायक बने स्व० देवेन्द्र शाश्त्री ने बदहाल देहरादून शहर को देख इसे स्विट्ज़रलैंड बनाने का सपना हमे दिखाया। हम सालो -साल उस खुमारी में जीते रहे और आगे के दशको तक घंटा घर चौक पर सीवर का पानी बहता रहा ,हर बरसात चौक के चारो और पानी भरता रहा। घंटा घर से दो किमी के दायरे में फैली गंदगी हमे अपने ख़्वाबों के स्विट्ज़रलैंड में होने का एहसास कराती रही।
फिर सरकार ने कहा कि जवाहरलाल शहरी नवीनीकरण योजना के तहत दून का होगा सौन्द्र्यकरण। चौराहे होंगे चोडे ,सड़के होंगी चौड़ी और सुदृढ़ ,सुन्दर पथ प्रकाशयुक्त होंगे। गंदगी का न होगा नामो निशा। समय बिताता रहा हम खुशफहमी में जीते रहे न खुद बदले न शहर बदला और न बदला सेवको का मिजाज़।
आज हम दून के ” अल्ट्रा स्मार्ट ” नागरिक होने पर गौरान्वित हैं। सरकार ने दून को ” ई -स्मार्ट सीटी ” बनाने की घोषणा की है। हम सभी बहुत ही खुश हैं। हमे अपना चरित्र और जीवन शैली बदले बिना एक आधुनिक और स्वच्छ और सुन्दर शहर के नागरिक होने का गौरव प्राप्त होगा। पर इससे भी ज्यादा हम इस बात पर खुश हैं कि स्मार्ट सीटी बनाने और उसका रखरखाव करने वाले सेवको के तौर तरीकों के बिना बदले हम इस काम को अंजाम देने में सक्षम हैं। —–आखिर हम ” स्मार्ट दून ” के ” अल्ट्रा स्मार्ट निवासी ” जो ठहरे। धन्यभाग हमारे और सौभाग्य योजना कारो का।
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