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गरमी—आग की चिड़िया

चंद लहरें
चंद लहरें
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तैरती आकाश में है
पँख पसारे
गरमी,आग की चिड़िया,

प्राण ले लेती
झपट्टा मारकर
बाज है गरमी,

देह झुलसाती
ये गरमी
आग का तालाब है,

है डस जाती चुपके से
ये गरमी
सर्पिणी है,

सोख लेती रक्त मानव का
ये गरमी
पिशाचिनी है,

है बुलाती बादलों को
दे रही संदेश धरती का
गर्मी दूतिनी भी है।

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