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भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी

चंद लहरें
चंद लहरें
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क्या सोचा था माँने,क्यूँ दिया नाम था तुझे अटल

अनुरूप उसी के ही जाग्रत तव राष्ट्र प्रेम भी रहा अटल

कर डाला वह सोचा जो कभी,तुम डरे नहीं बाधाओं से

हे कवि ,विचारक ,श्रेष्ठ मनुज तुम भरे पवित्र विचारों से

थी राजनीति सशक्त अति भावनाओं से थी मुक्त नहीं

काव्यत्व उफनता था रह रह चिन्ता थी हृदय में मानव की

तुम सा व्यक्तित्व विरल होता कोई विरोध न टिका कभी

नत हो जाते थे तव सम्मुख हो कितना प्रबल विरोधी भी

थे तुम सशक्त राष्ट्रप्रहरी, राष्ट्रीय शक्ति दिखलाने को

हम नहीं किसी से कम कभी यह दुनिया को जतलाने को

वैश्विक विरोध को सहकर भी परमाणु परीक्षण कर डाला

विज्ञान ज्ञान और बुद्धि का वह श्रेष्ठ प्रदर्शन कर डाला

बंदिशें सहीं निर्भय होकर ,बाधाएँ तो आती ही हैं

बाधाओं से लड़ आगे बढना, मानव जीवन का लक्ष्य यही

अपनी भाषा गरिमामय हो पहचान विश्व में इसकी हो

निज भाषा की पहचान बने स्वाभिमान राष्ट्र का रक्षित हो

अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर  भाषण दे ,गौरव बढ़ाया हिन्दी का

तुमने ही दिखाया वह साहस हिन्दी का मान बढ़ाने का

हम शक्तिवान हैं किन्तु,सौहार्द हम मे भरा हुआ

अपने पड़ोसियों के प्रति ,हमारा हृदय प्यार से भरा हुआ

मिलजुल कर रहें दें वैर त्याग, और भ्रातृभाव स्वीकार करें

सद्भावना हित की बस यात्रा मित्रता हित आगे हाथ बढ़े।

तेरी वाणी, तेरेविचार मानवता हित तव हृदय प्रसार

था अनुपम वाग्विलास तेरा,था नहीं जरा भी भेद-भाव

तुम एक युग के नायक अटल अपने विचार सिद्धान्तों मे

है नमन तुम्हें करता है राष्ट्र तुम जीवित रहो स्मृतियों मे

स्वर्णाक्षरों मे होगे अंकित ,इतिहास तुम्हें नही भूलेगा

तेरे अटल सुकर्मों को सम्मान सदा ही यह देगा।

है राष्ट्र शोक तेरा प्रयाण यह राष्ट्र रहेगा सदा ऋणी

तुमने जो मार्ग दिखाया चल सकें उसी पर स्यात् सभी।

 

आशा सहाय –16—8—2018–।

 

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