- 2 Posts
- 1 Comment
आज का आर्टिकल कानपुर के जाने माने लोकप्रिय एंव युवा वर्ग के सबसे सक्षम जीव सेवक आयुष्मान चतुर्वेदी और उनकी टीम पर हैं। इनको पूरे लॉकडाउन भर ज़्यादा तर बेज़ुबानों के साथ ही पाया गया हैं।
लॉकडाउन में जनजीवन ठप होने से बेजुबान जानवर भूख से परेशान हैं। चारे और भोजन के लिए इन जानवरों को शहर में सार्वजनिक स्थानों, गलियों में घूमता देखा जा सकता है। जानवरों को भूख से तड़पता देख समाजसेवी और गोसेवक जानवरों को चारा और भोजन उपलब्ध करा रहे हैं।
लॉकडाउन में लोग भूख मिटाने के लिए दान दाताओं, भंडारों की ओर निहार रहे हैं। ऐसे में बेजुबान जानवर भी भूख से परेशान हैं। बंद में बेजुबान पहले से अधिक बेसहारा हो गए हैं। बेजुबान जानवर और पक्षी इंसानों की बस्ती में अपने लिए दाना-पानी की तलाश में भटक रहे हैं। हालांकि कुछ लोगों ने इनकी भूख और पीड़ा समझी है, जो खाना-पानी देकर इनकी सेवा कर रहे है।
शहर में घुमने वाले बेसहारा जानवर पेट भरने के लिए गलियों में भटक रहे हैं। साथियों के सहयोग से शहर में भटकने वाले इन बेजुबान जानवरों को चारा खिलाया जा रहा है। इन लोगों ने बताया कि इंसान तो बोलकर मदद मांग लेता है, लेकिन ये बेसहारा तो सामान्य दिनों में भी प्रकृति और इंसानों पर निर्भर है। सभी को इनकी सेवा करनी चाहिए।
डिस्क्लेमर: उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण जंक्शन किसी भी दावे या आंकड़े की पुष्टि नहीं करता है।
Read Comments