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रिश्तों के आइने
apneebat
19 Posts
36 Comments
कभी जाने या अनजाने में,
कोई बात कह जाते।
रिश्तों के आइने हैं,
ये पल भर में दरक जाते।।
कोई समझे या ना समझे,
कोई माने य ना माने।
यही रिश्तों की फितरत है,
कि पल भर में बदल जाते।।
कुछ भी कैसे कहूं,
अब तो चुप ही रहूं।
बदलते वक्त के रिश्ते,
किसी की भी न सुन पाते।।
कि कोई रूठ जाता है,
तो कोई छूट जाता है।
समझ में कुछ नहीं आता,
कि जब रिश्ते बदल जाते।।
विरासत मंे हो पाये,
या हो खुद ही बनाये।
महल हैं ऐसे रिश्तों के,
जो ना गिर के संभल पाते।।
अगर रिश्ते निभा पाओ,
पास जा पास ला पाओ।
तो खुशबू रिश्तों में इतनी,
कि घर आंगन महक जाते।।
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