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‘आप जैसे हैं वैसे ही स्वयं को स्वीकार करें और खुद से प्यार करें. आपके जीवन में प्रगति आएगी. साहस के साथ जिएं. यह गुण आपके भीतर है जो कई बार उनमें भी नही होता जो सामान्य हैं.’
यह संदेश है साई पद्मा का उन लोगों के नाम जो शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. साई स्वयं पोलियो की शिकार हैं किंतु वह शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के उत्थान का सराहनीय काम कर रही हैं. वह एक लेखिका, गायिका तथा समाजिक कार्यकर्ता हैं.
उनकी कविताओं का संग्रह Life के नाम से प्रकाशित हो चुका है. अपनी गायन क्षमता का उपयोग कर साई विभिन्न सामाजिक कार्यों के लिए Fund जुटाती हैं. Disability in India विषय पर उनके लेख ILO Journal India Disability Journal तथा Indian Women online में प्रकाशित हो चुके हैं.
आंध्रप्रदेश विश्वविद्यालय से इन्होंने M.com तथा Bachelor of Law की Degree प्राप्त की है. आंध्रप्रदेश विश्वविद्यालय से ही साई ने MBA Finance किया है. इन्होंने CA Intermediate की परीक्षा पास कर ली किंतु Spinal cord surgery के कारण Final नहीं कर सकीं. इसके अतिरिक्त इन्होंने Indian Classical Music में Diploma भी किया है.
साई Global Aid नामक एक NGO का संचालन करती हैं. इसकी स्थापना 2007 में इन्होंने अपने पति तथा मित्रों के साथ मिलकर की. यह एक ऐसी संस्था है जिसका उद्देश्य शारीरिक तथा मानसिक रूप से अक्षम लोगों को एक बेहतर जीवन प्रदान करना है. इनकी संस्था शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को Wheelchairs तथा अन्य Mobility Equipments प्रदान करती है. Accessibility Project के तहत सार्वजनिक स्थानों में उनकी सुगम पहुँच की व्यवस्था की जाती है. इसके अतिरिक्त उनके लिए रोज़गार जुटाना, उनके अच्छे स्वास्थ की व्यवस्था करने का कार्य होता है.
इनके माता पिता दोनों ही डॉक्टर हैं. साई जब डेढ़ महिने की थीं तब इनके माता पिता को पता चला कि वह 70% पोलियो की शिकार हैं. अपनी पहली संतान का इस प्रकार रोगग्रस्त होना उनके लिए असहनीय था. इलाज से उनकी आवाज तथा हाथ सही प्रकार काम करने लगे. किंतु चलने के लिए उन्हें Calipers की मदद लेनी पड़ती थी. उनकी प्रारंभिक चिकित्सा ग्रामीण क्षेत्र में हुई. अतः उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. किंतु अपने साहस तथा शुभचिंतकों की मदद से साई ने सारी चुनौतियों को पार कर लिया. उनकी नानी के प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन ने उनमे आत्मविश्वास भरा जिसके कारण वह आत्मनिर्भर बन सकीं.
24 साल की उम्र में Gross Scoliosis नामक बीमारी के चलते उनकी Spinal cord की Surgery की गई. Surgery के कारण इन्हें अत्यधिक पीड़ा तथा लंबे Rehabilitation का सामना करना पड़ा. इनकी पढ़ाई में बाधा आई. उसी दौरान अपने पिता की सलाह पर साई ने Lion club द्वारा स्थापित एक Trust में Volunteer के तौर पर काम करना आरंभ कर दिया. इन्होंने पूरी कर्मठता के साथ प्रारंभिक शिक्षा, स्त्रियों सशक्तिकरण, बाल श्रम, HIV/AIDS की रोकथाम इत्यादि क्षेत्रों में 14 वर्षों तक अभूतपूर्व काम किया. इनके काम की भारत तथा USA में बहुत तारीफ हुई.
एक Educational project के संबंध में इनकी मुलाकात प्रग्नआनंद से हुई. दोनों के बीच मित्रतापूर्ण संबंध बन गया. प्रग्न इनके साहस तथा आत्मनिर्भरता से बहुत प्रभावित हुए. दोनो विवाह बंधन में बंध गए. प्रग्न एक आदर्श जीवनसाथी हैं.
साई कई पुरस्कार जीत चुकी हैं.
Lions club International की ओर से Melvin Jones fellow award
Rotary International की तरफ से Paul Hariss fellow award
Jayanti Foundation USA की ओर से Special recognition award
Chicago Public Radio USA द्वारा Global Activism Series के अंतर्गत साई का साक्षात्कार किया गया. इनके विचारों का पूरे USA में स्वागत किया गया.
साई उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहे हैं.
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