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अपने देश से दूर रह अपनी माटी और अपनी भाषा के प्रति लगाव बहुत बढ़ जाता है. तब इच्छा होती है कि कोई अपनी भाषा में हम से बात करे. बैंक ऑफ इंडिया की जोहांसबर्ग शाखा के मुख्य प्रबंधक श्री विनय कुमार जी अगस्त 2013 से दक्षिण अफ्रीका में कार्यरत हैं. अपने इस प्रवास के दौरान विनय जी ने एक पुस्तक लिखी है ‘किसी और देश में’. यह पुस्तक विनय जी की लघु कथाओं एवं कहानियों का संग्रह है.
मूलतः बनारस के रहने वाले विनय जी का मानना है कि लेखन का अर्थ केवल लिखना ही नही है. वरन इसके लिए आवश्यक है कि समाज की नब्ज़ को परखा जाए. लेखन ना सिर्फ अपने विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम है बल्की इसके द्वारा समाज को भी सही दिशा दिखाई जा सकती है.
विनय जी लेखन के लिए विषय का चुनाव बहुत सावधानी से करते हैं. यह विषय अक्सर वर्तमान समस्याओं, राजनीति और समाज से जुड़े हुए होते हैं.
पढ़ने की आदत के कारण साहित्य में विनय जी की रुचि बचपन से ही रही. बैंक के व्यस्त कार्यक्रम से समय निकाल कर वह लेखन भी करते रहे. मूलतः विनयजी एक लघुकथाकार हैं लेकिन कभी कभी कहानियां और गद्य लेखन भी करते हैं.
पिछले वर्ष विनय जी पहली पुस्तक “मुट्ठी भर अक्षर” प्रकाशित हुई थी. यह तीस लघुकथाकारों की सम्मिलित पुस्तक थी,
इस वर्ष इनकी दूसरी पुस्तक “किसी और देश में” आई जो इनकी खुद की लघुकथाओं का संकलन है. यह जोहानसबर्ग से प्रकाशित हुई है.
इसी वर्ष आगमन समूह द्वारा “प्रवासी भारतीय कथाकार” पुरस्कार के लिए विनय जी को नामित किया गया था.
दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए विनय जी एवं उनकी पत्नी अंजू हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए प्रयासरत हैं.
महात्मा गांधी से प्रभावित विनय जी भविष्य में अपने जोहांसबर्ग प्रवास के अनुभवों को कलमबद्ध करने की इच्छा रखते हैं.
जिंदगी को भरपूर जीना और साथ साथ अपने भाषा और समाज के लिए कुछ करना विनय जी के जीवन का प्रमुख सिद्धांत है.
इसके अतिरिक्त विनय जी खेलों में भी बहुत रूचि रखते हैं.
शुरूआत की.
विनय जी की इच्छा है कि अपनी भाषा हिंदी को जहाँ तक हो सके आगे ले जाएँ और इसका जम कर प्रचार प्रसार करें.
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