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किसी भी देश की प्रगति उस देश के युवाओं के कंधे पर होती है। जब देश के युवा हर क्षेत्र में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं तब ही देश सही तरह से तरक्की करता है। खेल का क्षेत्र भी ऐसा है जहांं हमारे देश के युवा अच्छा प्रदर्शन कर देश का नाम दुनिया में रौशन कर रहे हैं। खासकर उन खेल प्रतिस्पर्धाओं में जो आम नहीं हैं।
घुड़सवारी एक ऐसा ही खेल है। मध्यप्रदेश भोपाल के रहने वाले प्रणय खरे मध्यप्रदेश अकादमी द्वारा चयनित एक प्रतिभाशाली घुड़सवार हैं। उन्होंने घुड़सवारी की कई प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। डी.पी.एस. भोपाल की बारहवीं कक्षा के छात्र प्रणय का सपना देश के लिए ओलंपिक खोलो में पदक जीतना है। प्रणय को अपने बड़े भाई प्रांजल से घुड़सवारी करने की प्रेरणा मिली। प्रांजल और प्रणय की उम्र में 10 साल का अंतर है। प्रणय जब भी अपने बड़े भाई प्रांजल को घुड़सवारी करते देखते तो इनकी भी इच्छा घोड़े पर बैठने की होती थी। कभी कभी घोड़े पर बैठने का भी मौका मिल जाता था। अपने बड़े द्वारा प्रेरित करने पर प्रणय ने सन 2013 में विधिवत रूप से मध्यप्रदेश राज्य घुड़सवारी अकादमी में अभ्यास करना आरंभ कर दिया।
27 अप्रैल 2002 को जन्मे प्रणय 8 साल की छोटी उम्र से घुड़सवारी कर रहे हैं। प्रणय के पिता प्रवीण खरे एक व्यवसायी हैं। माता डॉ. प्रीती खरे बहुमुखी प्रतिभा की स्वामिनी हैं। वह एक समाज सेविका, साहित्यकार एवं व्यवसायी हैं।इसके अलावा वह रेडियो तथा दूरदर्शन पर उद्घोषिका भी हैं। प्रणय एक प्रतिभाशाली घुड़सवार हैं। दिसंबर 2013 में प्रणय ने अपने पहले ही जूनियर नेशनल घुड़सवारी चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। 2018 में जकार्ता में होने वाले एशियन गेम्स में कम उम्र होने के कारण प्रणय भाग नहीं ले सके। अतः अब उनका लक्ष्य 2022 में होने वाले एशियन गेम्स में पदक हासिल करना है। जिसके लिए वह जम कर अभ्यास कर रहे हैं। प्रणय की इच्छा ओलंपिक खोलों में भी भारत का नाम रौशन करना है।
प्रणय अपनी सफलता का श्रेय अपने बड़े भाई डॉ. प्रांजल खरे तथा अपने माता पिता को देते हैं। वह सही से अभ्यास कर सकें इसके लिए उनके पिता श्री प्रवीण खरे ने बैंगलूरू में एक घोड़ा खरीद कर दिया है। अपने परिवार के अतिरिक्त प्रणय अपनी सफलता का श्रेय मध्यप्रदेश सरकार को भी देते हैं। उनके हिसाब से मध्यप्रदेश घुड़सवारी अकादमी में जिस तरह की सुविधाएं हैं वैसी सुविधाएं देश की अन्य घुड़सवारी अकादमियों में मिलना मुश्किल है। प्रणय का मानना है कि घुड़सवारी के खेल में कुछ खतरे भी हैं। अतः खिलाड़ी को अपना ख्याल रखना चाहिए। यदि कोई चोट लगे तो घबराकर पीछे नहीं हटना चाहिए। यह बात प्रणय अपने व्यक्तिगत अनुभव से कहते हैं।
प्रणय कहते हैं 2014 में एक बाधा पार करते समय प्रणय घोड़े से गिर गए। सर पर चोट आई। चोट ठीक होने में करीब दो महीने लगे। कुछ समय के लिए प्रणय डर गए थे। लेकिन अपनी हिम्मत से उन्होंने डर पर काबू पा लिया। फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। प्रणय के हिसाब से घुड़सवारी एक व्यक्तिगत प्रतियोगिता है। घुड़सवार को सदैव अपनी फिटनेस पर ध्यान देना चाहिए। उसे ध्यान रखना चाहिए कि उसका वज़न अधिक ना हो। पर सबसे अधिक आवश्यक है घुड़सवार और घोड़े के बीच का संबंध। घुड़सवार को अपने घोड़े की आवश्क्ताओं का ध्यान रखना चाहिए। उसकी क्षमताओं को सही तरह से समझना चाहिए।
प्रणय अपने घोड़ों को बहुत प्यार करते हैं। उन्होंने अपने घोड़ों को नाम दिए हैं। बैंगलूरू में अपने घोड़े को वह डेमोक्रेटिक नाम से पुकारते हैं। अकादमी के जर्मन घोड़े का नाम रॉक फेलर है। इसके अलावा चार्ली और सिंड्रेला भी उन्हें बहुत पसंद हैं। इस साल प्रणय पीसीएम से सीबीएसी बारहवीं की परीक्षा देने वाले हैं। घुड़सवारी के साथ वह अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान देते हैं। पर उनके जीवन का लक्ष्य तय है। वह घुड़सवारी में अपने देश का नाम रौशन करना चाहते हैं। मध्यप्रदेश अकादमी के मुख्य प्रशिक्षक कैप्टन भागीरथ जी को प्रणय से बहुत उम्मीदें हैं। उनका कहना है कि प्रणय बहुत ही मेहनती हैं। उनमें कुछ कर दिखाने का गज़ब का उत्साह है। पर एक अच्छा गुरू होने के नाते उनकी प्रणय को एक सलाह भी है कि वह जोश में होश ना गंवाएं।
प्रणय ने अभी तक कई बड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर जीत का परचम लहराया है। इन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कुल 32 पदक जीते हैं। इनमें 16 स्वर्ण, 10 रजत एवं 6 कांस्य पदक अर्जित किए। इस प्रकार अब तक कुल पदकों की संख्या 133 में से 63 स्वर्ण, 40 रजत एवं 30 कांस्य सहित पदक प्रणय को प्राप्त हैं| प्रणय को मध्यप्रदेश के विक्रम खेल पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।
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