Menu
blogid : 24173 postid : 1252978

हिंदी को लोकप्रिय बना रहे हैं यह फेसबुक ग्रुप

parvaaz hounsale ki
parvaaz hounsale ki
  • 57 Posts
  • 24 Comments

images (1)

लोगों को जोड़ने का एक प्रसिद्ध माध्यम है सोशल साइट ‘फेसबुक’.

फेसबुक ना सिर्फ लोगों को जोड़ने का कार्य कर रहा है बल्की फेसबुक पेज तथा ग्रुप के माध्यम से लोगों में सकारात्मक विचारों का प्रचार भी किया जा रहा है.

फेसबुक में कई ऐसे ग्रुप हैं जो राष्ट्रभाषा हिंदी को लोकप्रिय बनाने की दिशा में कार्यरत हैं. यह ग्रुप हिंदी लेखन को प्रोत्साहन प्रदान कर रहे हैं. यहाँ नवोदित लेखकों को ना सिर्फ उनकी प्रतिभा के प्रदर्शन का अवसर प्रदान किया जाता है बल्कि उसे और निखारने के लिए यह ग्रुप मार्गदर्शन भी प्रदान कर रहे हैं.

इस लेख में ऐसे ही कुछ फेसबुक समूहों का वर्णन किया गया है.

लघु कथा के परिंदे

हिंदी में लघु कथा लेखन को बढ़ावा देने में यह ग्रुप सराहनीय कार्य कर रहा है. हर माह की पहली तिथि को ग्रुप के सदस्यों को दस विषय दिए जाते हैं. इन विषयों का चुनाव सावधानीपूर्वक किया जाता है. विषय ऐसे होते हैं जो लेखक की चिंतन प्रक्रिया को परिमार्जित करने में सहायक होते हैं. रचनाकार को कम से कम सात विषयों पर लिखना अनिवार्य होता है. अधिकतम प्रविष्टियों की कोई सीमा नही होती है. लेखक अधिकाधिक रचनाएं इन विषयों पर पोस्ट कर सकता है. माह की आखिरी तारीख पोस्ट करने की अंतिम सीमा होती है. इसके बाद इस विधा में प्रवीण जनों द्वारा सभी प्रतिभागियों की रचनाओं का मूल्यांकन कर अगले माह की दस तारीख को किसी एक को माह का लेखक की उपाधि प्रदान की जाती है. इस कार्य में कितने धैर्य व श्रम की जरूरत होती है आसानी से समझा जा सकता है.

लघु कथा गागर में सागर

लघुकथा के विकास, इसे जन-जन तक पहुंचाने हेतू तथा नवलघुकथाकारों के मार्गदर्शन व उन्हें एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से 2015 में इस ग्रुप का आरंभ किया गया. 6000 से अधिक सदस्यों वाले इस ग्रुप के पाँच एडमिन हैं.  इस ग्रुप के द्वारा हर माह में दो बार लघुकथा प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. निर्णायक व प्रतिभागियों के वोट मिलाकर विजेता का चुनाव किया जाता है. विजेता ही अगली प्रतियोगिता का विषय देता है व बाकी सब प्रतिभागियों को उस विषय पर लघुकथा लिखनी होती है.                     विजेता को वनिका पब्लिकेशन्स की ओर से प्रमाणपत्र व ललित काव्य पुस्तक पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जाती है,

राजभाषा कल आज और कल

यह ग्रुप हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इस ग्रुप के एडमिन श्रीमती सविता नागपाल मुखी तथा उनके पति श्री भोज कुमार मुखी जी हैं. इस ग्रुप का आरंभ 31 अगस्त 2011 को हुआ था.

इस ग्रुप के आरंभ का उद्देश्य हिंदी भाषा जो देश को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा है को उसका सम्मान दिलाना है. हिंदी को राष्ट्रभाषा का गौरव स्वतंत्रता से पहले ही प्राप्त हो गया था.भारतीय सविंधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा भी प्राप्त हो गया है. विश्व के अधिकांश देशों में हिंदी बोली,समझी, व पढ़ाई जाने वाली भाषा है .

अपने आरंभ से अब तक इससे 3913 सदस्य जुड़ चुके हैं. कई कालेजों के हिंदी विभाग के अध्यक्ष भी इस ग्रुप के सदस्य हैं. यह ग्रुप हिंदी लेखन की हर विधा से संबंधित सदस्यों को उनकी प्रतिभा के प्रदर्शन का मौका देता है.

ज़िंदगीनामा लघु कथाओं का सफर

लघु कथा विधा को समर्पित यह ग्रुप दो साल पहले आरंभ हुआ था. इसमें वर्ष में तीन बार लघु कथा लेखन प्रतियोगिता आयोजित होती है. इसका आयोजन आदरणीय कमल कपूर जी द्वारा किया जाता है. प्रतियोगिता के लिए शीर्षक के स्थान पर किसी प्रतिष्ठित लघु कथाकार की कथा की प्रारंभिक चार पांच पंक्तियां दी जाती हैं जो एक मोड़ पर समाप्त होती हैं जिसके आगे से कथानक गढ़ना होता है. आदरणीय रवि प्रभाकर प्रविष्टियों का आकलन कर विजेता घोषित करते हैं.

Tags:         

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh