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जुबॉ को लगाम नहीं, जवॉ को लगाते है लगाम

हमारे देष में सरकार की आड़ में कुछ भी कर गुजरने की मंषा रखने वाले मंत्रियों की कमी नहीं है। पिछले दिनों बिहार के स्वास्थ्य मंत्री श्री अष्विनी चौबे ने जूनियर डाक्टरों की हड़ताल पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया में उनके हॉथ काटने की धमकी दे डाली। स्वभाविक है जूनियर डाक्टरो के अध्यक्ष डॉ धीरज कुमार ने मंत्री जी के इस तालिबानी फरमान पर आपत्ती जताई। इतने बड़े विभाग का मुखिया ही जब एैसी मानसिकता रखता है जिसके कर्मचारी जनता के स्वास्थ्य का इलाज करके उन्हे राहत पहुॅचाता है। जेडीए ने वेतन बृद्वि की मॉग को लेकर 30 जनवरी की रात से हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था। अपने हक के लिये हड़ताल करना स्वभाविक है। क्योकि बच्चा भी जब तक मॉ….मॉ नही कहता मॉ उसे दूध नही पिलाती । एैसे ही एनडी तिवारी भी अपनी जवनी को लगाम नही लगाना चहते वे भी 87 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनने की ख्वाहिष जाहिर की है। सरकार चलाने के लिये अनुभवी की तो आवष्यक्ता होती है पर इतना भी अनुभव जरूरी नही होता कि जब दिमाग अपने रास्ते से भटकने लगे तब उसके हॉथ मे एक राज्य की जिम्मेदारी सौपी जाए। क्योकि एैसे अनुभव का परिणाम यही होगा कि सरकार की नाव, नदी की धारा में कब बह गई किसी को भी पता नहीं चलेगा।