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महिलाओ के प्रति आर्कषण में पुरूषो का तरह तरह का नजरिया

सुप्रभात
सुप्रभात
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इस लेख को पढ़ कर मुझे याद आया वो दिन जो मैने मुम्बई मे अपने करीबी मित्र नीरज के साथ गुजारे थे। प्रायः हर इंसान की स्त्रियों के विषय मे अपनी अपनी पसंद होती है एसे ही उस इंसान की भी अपनी पसंद थी – वह नथ पहने हुई लड़कियो के प्रति बेहद आर्कषित होता था। यहॉ तक कि वह रास्ता चलते – चलते यकायक उसे नॉक मे नथ पहने हुई लड़की दिख जाती थी तो उसके कदम भी धीमे हो जाते थो अगर लड़की कहीे खड़ी है तो उसके कदम भी वही थम जाते थे।

उसकी संगति मेेे मैने कई बार उसकी इस आदत से परिचित हुआ लेकिन जब उसकी यह आदत मुझे हरकत लगने लगी तो एक दिन वह फिर मुझे राह चलते – चलते अचानक टोंका – देख……देख सामाने देख……..? मैने पुॅछा क्या है सामने……..? वो देख नथुनियॉ वाली लड़की…….हाय रब्बा….. मै पागल हो जॉवा…..{ मुझे बताते हुऐ, वह अपने सीने पर हॉथ रख कर बुदबुदाया } मैने भी उससे मजाकिया स्वर मे पूॅछा इसमे पागल होने वाली क्या बात है….? उस लड़की का श्रंगार है जो वह अपने लिये किया है इसमे तुम्हे पागल होने की क्या जरूरत है। ‘‘तुम नहीं समझोगे…..नथुनियॉ देखते ही मै पागल हो जाता हुॅ‘‘ । मैने कहा मत पाल ये शौक……। क्यूॅ ….क्यॅू न पालूॅ ये शौक…आखिर क्या खराबी है इस नथुनियॉ में…..। मैने कहा खराबी कुछ नही है इस नथुनियॉ मे पर खुदा-न-खासता कभी कोई तुम्हारे परिवार मे इस नथुनियॉ को पहन लिया तो क्या होगा उसका……….? आगे क्या हुआ होगा आप समझ ही गए होगे।

कुछ समय के बाद हम दोनो मे पुनः बातचीत शुरू हुई ,वह नवी मुम्बई का खारघर एक विकासशील ऐरिया था। वहॉ राजस्थानी कबीले एक खाली प्लाट पर तम्बू लगा कर अपना डेरा डाले थे जो कुछ जड़ी – बूटी बेचा करते है। हम दोनो पैदल उसके निकट रास्ते से गुजर रहे थे तो उस तम्बू से एक बड़ी ‘‘नथ‘‘ वाली ,घाघरा चोली पहने एक अधेड़ औरत निकली जिसे देखते ही मैने इशारे से उसकी नजर उस नथ पर टिकाया, जिसे देखते ही वह – घत् और एक गाली का नुक्ता मुझे पेश किया। दरअसल उसे ‘‘नथ‘‘ वाले चेहरे पर स्मूचिंग बहुत पसंद थी इसलिये वह नथुनियों वाली लड़यिको की तरफ बेहद आर्कषित होता था।

एक मीडियाकर्मी जनाब का तो अलग ही नजरिया था वे कहते थे कि ‘‘मुझे अपने बच्चे और दूसरों की बीबियॉ ज्यादा पसंद है‘‘ लो साब इनका आर्कषण दूसरों की बीबियॉ है जो अपने पति से अकेली होने पर उन्हे ज्यादा ही भाती है। एैसे ही एक दिन उनके प्रति भी मेरी जुबान फिसल गई – सर भाभी को आपकी ये आदते पता है…..? हॉ पता क्या शक है जरूर पर क्या फर्क पड़ता है….? मैने अपने विचार थोड़ा दबी जुबान मे उनके सामने रखा ‘‘भाभी जी को घर पर अकेला क्यों छोड़ते हो‘‘ उनकी नजरे थोड़ा कड़क हो गई ‘‘मै एैसी बीबी का पति नही हॅू‘‘।

हालॉकि कि वे मेरे सीनियर थे पर, कोई किसी भी पोजीशन पर हो या कितना भी छोटा – बड़ा हो उसे मै अपने मजाकिया स्वभाव मे ढालने के लिये जरूर प्रेरित करता हॅू और ये नही हो सक्ता तो मै उसे अवाईड भी करता फिरता हूॅ पर एैसा कभी होता नही क्योकि अपना ब्यौहार ही एैसा है,…..खैर..! बात टल गई पर मैने उनके दिल को छेड़ जरूर दिया था।

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