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आज हम आजादी की 68 वी वर्षगांठ मना रहे है। लेकिन कभी यह विचार किया गया कि इस आजादी का बीज मंत्र क्या रहा होगा । हमारे राष्ट्रपिता महात्मागांॅधी जी जिन्हे राष्ट्र संत महात्मा की पद्बी देकर भी पुकारता है। उनके संधर्षशील जीवन आज समस्त भारतवासियो को आजादी से जीने का अवसर प्रदान किया हैै।
उन्होने भी अपने जीते जी कितनी पीढ़ियॉ गुलामी की जंजीरो मे जकड़े हुये देखा होगा, तभी तो स्वतंत्रा की लड़ाई को किस तरह लड़ना है….? यह योजना उन्होने भी बनाई होगी और उसके लिये पूरी दुनिया को कैसे अपने सामने झुकाना है। उसके लिये किन शब्दो की आवश्यक्ता होगी कैसे विचारो से इन्हे बॉधा जा सक्ता है…..? ये इन माहापुरूषों ने बर्षो संघर्ष के बाद दुनिया को अपने बताये रास्ते पर चलने को मजबूर कर दिया।
स्वामी विवेकानन्द, जवाहर लाल नेहरू, आदि इन सभी साधारण व्यक्तियों के पीछे असाधारण शब्दो की ताकत थी और इनके पास विचारो की सेनाऐ थी। जो हर इंसान को अपने से बांधे रखती थी लोग इनके पीछे भागा करते थे। इनको अपना आर्दश मानते थे।
इनके पास जो शब्दों की ताकत थी इन्ही अनमोल शब्दो की बदौलत इन लोगो ने दुनिया को जीत लिया दिखने मे एक छोटा सा साधारण शब्द , अजर- अमर और अपार शक्ति से भरा होता है। उसमें एक जीवन, एक समाज, एक राष्ट्र और दुनिया को बदलने की ताकत होती है। अगर शब्द दुनिया में शान्ति ला सक्ता है तो क्रांति लाने का भी सामर्थ रखता है। इसलिऐ कबीर दास जी ने कहा है।
‘‘शब्द शब्द सब कोई करे , शब्द के हॉथ न पॉव ।
एक शब्द औषधि करे , एक शब्द करे घाव।।
जरा सोचिऐ कि संतो के ये चंद शब्द सदियों से दुनिया को प्रेरित करते आ रहे है। फिर यह दुनिया तो अपार किताबों, ग्रंथों और साहित्य से भरी पड़ी है। राजा भले ही अपने राज्य में पूजा जाए , लेकिन विद्वान हर जगह पूजा जाता है। तो क्यों न हम भी इन शब्दों की ताकत को पहचाने और देश के विकास में अपना योगदान दें । शब्दो को अपने जीवन में उतारें क्यों कि शब्दों के अध्ययन से ही ब्यक्ति विद्वान बन सक्ता है।
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