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हौसला और फैसला इंसान के दो साथी है

सुप्रभात
सुप्रभात
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ज्यादातर लोगो का मानना है कि एैसी बाते सिर्फ किताबों मे ही अच्छी लगती है हकीत में नही। एक तरह से देखा जाए तो उनके नजरिये से ये सही भी है क्योकि इस भ्रष्ट लाईफ में जहॉ इन्सान एक दूसरे की टॉग खीचते हुऐ उसका दिन बीतता है, वह नही चाहता कि अपने सामने मौजूद परिस्थितियों को अपने हिसाब किताब से बदल कर एक नई जिन्दगी में सुकून की सांस ले सके।

जिन्दगी के हर सवाल का जवाब बेहतर तरीके से देने के लिए इंसान को उसके स्वयं के हौसले और फैसले की जरूरत होती है। जिन्दगी के यही दो कदम उसके सच्चे मायने मे साथी होते है। वह यह नही जानता कि यही दो मित्र एक दिन हमारी परिस्थितियॉ को बदल सक्ते है।

समय की ताकत का अंदाजा भी किसी को नही होता है कहा भी गया है कि ‘‘समय बड़ा बलवान होता है‘‘ यह बात भी सच है सदियो से लेकर आज तक समय ने अपनी ताकत का एहसास, इतिहास को कराते आया है। और इसीलिए इतिहास भविष्य को समय की ताकत का गवाह भी बनता है।

हिम्मत के हिम्मत की भी दादा देनी होती है। अर्थत साहसी पुरूषों के साहस के सामने ये समय कुछ भी नही होता है। एैसे ही कितने यदा कदा पुरूष इस धरती पर पैदा हुऐ है जो समय को ठेगा दिखा कर चले गये। उन्होने समय से पहले अपने कद से कई गुना आगे अपनी जिन्दगी के जिया है और दूसरो के लिये भी रास्ता बनाके गए है। जिनमे से कुछ नाम है – महात्मागांधी, रिलायन्स के मलिक ‘‘धीरूभाई अंबानी‘‘ जिन्होने इस जहां मे एक साधारण सी जिन्दगी से जीना शुरू किया और देखते ही देखते समय को अपनी मुट्ठी में बंद कर लिया।

इनके लिए तो समय को भी बेचारा कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी। बेचारा समय भी इनकी मुट्ठी मे फड़फड़ा कर रह गया। गॉधी जी के सामने अंग्रेेजी सरकार तूफान बन कर कई बार तबाही मचाने का पैगाम दिया पर फिर वही बात……….बेचा…..रा……..तूफान । आखिर कार गांधी जी के हौसले और फैसले के सामने उसने भी अपना रूख पलट लिया।

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