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ऐसा क्यों होता है, की चुनाव आते ही नेता एवं पार्टियां गरीबों की चिंता करने लगते हैं ?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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बिहार में विधान सभा चुनाव की शुरुआत हो चुकी है आज 12 अक्टूबर को बिहार के ४९ विधान सभा क्षेत्र में चुनाव हो रहें हैं दोपहर तक ४० % मतदान होने की सुचना भी है . लेकिन जिन क्षेत्रों में अभी चुनाव होने बाकि हैं और उनमें नेतागण अभी भी चुनावी भाषण सुनाकर गरीबों को लुभाने की कोशिस कर रहें हैं . अपने देश में गरीब शब्द एक बड़ा हीं विबादास्पद एवं हास्यास्पद वाक्य बन कर रह गया है . आजादी के ६८ वर्षों बाद भी अपने देश में गरीबों की तादाद लगातार बढ़ी ही है और चुनाव दर चुनाव नेता लोग गरीबों का नाम लेकर उनका वोट लेते आये हैं और इतने वर्षों बाद भी इस देश में गरीब अति गरीब और अमीर अति अमीर ही होता जा रहा है भारतवर्ष को कृषि प्रधान देश कहा गया था . लेकिन इस कृषि प्रधान देश में आज खेती करने वाला किसान क्यों ? आत्महत्या करने पर मजबूर हो गया है, अतः मेरी राय में इस देश को नेता प्रधान देश कहना ज्यादा जायज होगा और इसऔर देश में नेता वही बन सकता है जो ज्यादा से ज्यादा झूठ बोल सकता हो ज्यादा से ज्यादा भ्रष्ट बन सकता हो , जन – विरोधी हो सकता हो .मेरा चुनाव आयोग से अनुरोध है की वह कोई ऐसा सर्कुलर भी लाये जिसमें नेताओं को अपने चुनावी भाषण के दौरान गरीब शब्द का उपयोग करने पर रोक हो क्यूंकि ए झूठे , फरेबी हमेशा से गरीबों को ठगते ही आये हैं . बिहार विधान सभा चुनाव के टिकट वितरण के दौरान एक नेता को टिकट नहीं मिलने के बाद उसको टेलीविजन पर रोते – बिलखते हुए बिहार क्या पूरे देश की जनता ने देखा और उस नेता ने टिकट पाने के लिए अपनी सारी संपत्ति बेंच दी थी क्या ? इस देश का गरीब इतना नादान है की वह यह न समझ सके की यह नेता जो अपनी संपत्ति बेंचकर चुनाव लड़ने को निकला है वह क्या , गरीबों की सेवा के लिए टिकट के जुगाड़ में निकला था क्या? यह चुनाव जीतकर गरीबों की सेवा करेगा गरीबों का भला करेगा . कतई नहीं.
निस्संदेह देश में विकास का काम हुवा है कुछ गरीबों का भी भला हुवा होगा पर जब तक चुनाव में धनबल का उपयोग होता रहेगा तब तक इस देश को कोई ईमानदार छवि वाला नेता नहीं बन सकता और बेईमान नेता से किसी गरीब की भलाई की उम्मीद करना अपने आप को ठगना ही कहलायेगा . बीच में नेताओं ने मतदान को कानूनन जरुरी बनाने की सोंचा था ,पर भला हो सुप्रीम कोर्ट का जिसने ऐसा करने से रोक दिया . और सोचने की बात है ये है नेता मतदान को जरुरी कर देना चाहते हैं . लेकिन मतदान के पश्चात सरकार में आ जाने के बाद जो उन्होंने जनता से वायदे किये थे उसको पूरा करना है यह भूल जाते हैं और फिर से लूट खसोट में लग जाते हैं और यु ही ५ साल बीतने के बाद फिर से अगले चुनाव में झूठे वायदे करके फिर से चुनाव जीतकर सरकार में आ जाते हैं पार्टियां बदलती रहती हैं नेता तो पार्टी बदलके दूसरी पार्टी में चले जाते हैं और फिर से सरकार में काबिज हो जाते हैं . चुनाव आयोग ने नेताओं के लिए कोई कानून या सिद्धांत भी नहीं बनाये हैं आज नेता सिद्धांत विहीन राजनीती करते ही नजर आते हैं जब कोई सिद्धांत ही नहीं होगा फिर किस बिना पर जनता उनपर उम्मीद लगाये. मजे की बात यह भी है की जनता भी सब कुछ देख रही है फिर भी परिवर्तन की ओर बढ़ती है और उस परिवर्तन पर उम्मीद लगाती है लेकिन परिवर्तन कुछ भी होता दीखता नहीं हाँ अगर कुछ परिवर्तित नहीं होता तो वह होता है की उनकी जंदगी में कोई परिवर्तन नहीं होता .जरूर इस देश ने एक परिवर्तन देखा वह देखा दिल्ली के विधान सभा चुनाव में जिसमें २ साल पुरानी पार्टी “आप ” जिसके मुखिया अरविन्द केजरीवाल हैं और जो राजनीती में परिवर्तन लाने की कोशिस जरूर कर रहें हैं लेकिन उनको भी आज की भ्रष्ट राजनीती काम करने नहीं दे रही है कहाँ ऐसा हो सकता है की एक मुख्यमंत्री के पास उसकी अपनी पुलिस भी ना हो भला कानून ब्यवस्था जो राज्य का विषय होता है राज्य की जिम्मेवारी होती है उस जिम्मेवारी को केजरीवाल कैसे निभा सकते हैं. केजरीवाल की सरकार दिल्ली में बनने के बाद जनता को उनसे कोई शिकायत नहीं अगर किसी को शिकायत है तो विरोधी दलों को है जिनका सूपड़ा साफ़ “आप” ने कर दिया . मोदी जी ने भी बहुत सारे जनता से वायदे किये लेकिन गरीबों को कहा था उनके खाते में १५ लाख रुपया जमा हो जायेगा जब देश का काला धन वापस देश में आ जायेगा .काला धन कुछ हजार करोड़ वापस भी आया पर गरीबों के अकाउंट में पैसे नहीं आया . हाँ उनका अकाउंट जरूर खुल गया गरीबों ने बैंक की शकल जरूर देख ली अगर नहीं देखा तो अपने बैंक खाते में कुछ हजार भी रुपया . फिर से मोदी बिहार के जनता के बीच मुखातिब हैं भाषण दे रहें हैं अच्छे दिन आएंगे . बिहार की जनता भी जंगल राज भाग २ ना आ जाये इससे डरी हुयी है और मोदी जी के झूठे वायदों पर भरोसा करने पर मजबूर है क्यूंकि एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ खायी है .

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