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किसे मिलना चाहिए एनडीए के बदलते समीकरणों का श्रेय ” Jagran junction forum ”

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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अपने देश में हर चुनाव के पहले आया राम गया राम का सिलसिला शुरू हो जाता है और वही हाल इस समय हो रहा है क्यूंकि आम चुनाव नजदीक आ चूका है अभी और भी नेता एवं पार्टियां पाला बदलेंगी इसको बदलता समीकरण ना कहकर मेरी राय में यह राजनितिक अवसरवादिता है नेता बहुत महत्वाकांक्षी हो गए हैं और आज राजनितिक समीकरण भी उनकी महत्वाकंक्षा का ही परिणाम है अब हाल ही में लोजपा नेता रामविलास पासवान खुद कबूल किये की जब कांग्रेस ने उनको घास नहीं डाली तो उनको एन डी ए कि याद आ गयी और वे अपने पुराने घर में आ गए और कुछ नए चेहरे भी बी जे पी में आये चुकी आज कल मोदी कि लहर चल पडी है मोदी कि रैलियों में सबसे ज्यादा भीड़ इकठ्ठा होने लगी है और मोदी को सुनने के लिए हजारों कि तायदाद में आज जनता आ रही है और ऐसी उम्मीद बी जे पी को हो चली है कि यह भीड़ वोट में भी तब्दील होगी तो इसमें संदेह नहीं कि इस भीड़ का श्रेय मोदी को ही जाता है और एन डी ए में हो रहे ऐसे सकारात्मक परिवर्तनों का श्रेय उनकी पार्टी एवं उनको दोनों को जाता है बी जे पी को सांप्रदायिक कहने वालों का मुह अदालत के फैसले के बाद बंद हो चूका है आज तक बी जे पी को सांप्रदायिक कहकर ही अछूत साबित करने कि कोशिस सभी राजनितिक पार्टियों कर रही थी लेकिन आज जनता और खासकर इस देश का मुस्लिम समाज भी समझ चूका है कि गैर भाजपा पार्टियां मुस्लिमों का कितना भला कर रहीं हैं जो अपने को सेकुलर होने का ढिंढोरा पीट रहीं हैं और इसका ताजा उदहारण यु पी में देखने को मिला जब सपा के शासन में १०० से ज्यादा सांप्रदायिक दंगे हुए क्या इसीको सेकुलरवाद /समाजवाद कहते हैं
देश कि वर्त्तमान राजनीती में सिर्फ अपना फायदा ही नेता सोंचते हैं और यह जग जाहिर है अगर ये नेता ये पार्टियां देश कि जनता के फायदा में अपना फायदा देखतीं तो आज जनता इतनी दुखी ना रहती और देश का सर्वांगीण विकास होता आज विकास आबादी के अनुपात में मात्र १० प्रतिशत लोगों का हुवा है अभी ९० प्रतिशत वंचित हैं इसलिए जिसको जिससे जुड़ना हो जुड़े पर जो आज तक उपेक्षित रह गएँ हैं एन डी ए का एवं दीगर पार्टियों का भी ध्यान उनकी तरफ भी जाए और उनका दिन भी बदले उनके हालात भी बदले आज ऐसी पार्टी को सत्ता में आना चाहिए. नेताओं को जरूर अपना फायदा कम और जनता का फायदा ज्यादा कैसे हो इस पर विचार करना चाहिए और चुनाव मेनिफेस्टो में किये गए वायदों को कम से कम ५० से ६० प्रतिशत भी पूरा करना चाहिए ताकि जनता इनको जिताकर अपने को ठगा न महसूस करे आज इसके लिए कोई समीकरण बनाने का प्रयास होना चाहिए . नेता चुनाव के दौरान ऐसे वायदे कतई ना करें जिसके लिए देश के पास संसाधन ना हो वायदे वही करें जिनको वे पूरा कर सकते हैं और इसमें चुनाव आयोग कि भी बड़ी भूमिका मैं समझता हूँ चुनाव आयोग को यह अधिकार होना चाहिए कि अगर पार्टियां जो वायदे जनता के साथ कर रहीं हैं उसके लिए पर्याप्त संसाधन देश में अगर नहीं है तो वैसे झूठे वायदे नेता या पार्टी जनता से न करे चुनाव आयोग इसको सुनिश्चित करे इसका आकलन करे ताकि चुने जाने के बाद वायदे पूरे न किये जाने कि सूरत में उन नेताओं को दुबारा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करारा दिया जाए जब तक चुनाव आयोग को यह अधिकार संविधान द्वारा नहीं दिया जाता सारे समीकरण बेमानी हैं और आज जो सरकार जाने वाली है उसको जाते जाते कोई ऐसा अध्यादेश जरूर जारी करना चाहिए चुनाव आयोग को यह अधिकार देकर जाना चाहिए यही कांग्रेस पार्टी द्वारा देश कि जनता को अदिकार दिलाने में सहायक होगा अगर सचमुच वे जनता कि भलाई चाहते हैं .

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