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“गठबंधन की सरकार ” Jagran Junction Forum

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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वर्त्तमान पार्टियों में से कोई भी आज ऐसी नहीं है जो आने वाले लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत से चुनाव जीत सके और अपनी सरकार बना सके
आज हर हाल में अपने देश में गठबंधन कि सरकार बनने कि प्रबल सम्भावना है और मैं अभिनेता आमीर खान के विचारों से सहमत हूँ उनका यह कहना की “राजनीती का स्ट्रक्चर खराब नहीं है ? हम (जनता ) ही देश को चला रहें हैं अतः स्ट्रक्चर बदलने से कुछ नहीं होगा ,अभी कोई पार्टी ऐसी नहीं जो पूर्ण बहुमत मिलने पर अच्छा काम करे इसलिए मैं तो यही चाहूंगा कि खंडित जनादेश ही जनता दे ”
कारन अपना देश दिवंगत इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गयी इमरजेंसी को कभी भूल नहीं सकता और दुःख तो तब होता है जब कांग्रेस पार्टी बी जे पी के नरेंद्र मोदी को तानशाह कहती है इमरजेंसी के परिणाम स्वरूप ही इस देश के एक महान समाजसेवी एवं सर्वोदय नेता दिवंगत जयप्रकाश नारायण ने सम्पूर्ण क्रांती का नारा देश को दिया और देश कि जनता पूरी तरह आंदोलित हुयी और उस समय के चुनाव में कांग्रेस का सफाया हुवा उस समय कि इंदिरा सरकार तानशाह हो गयी थी . अतः आज भी अपने देश में किसी एक पार्टी कि सरकार को बनाना तानाशाही को न्योता देना ही होगा और अपने देश में बीते २५ सालों से गठबंधन कि सरकार ही बनती आ रही हैं और हमेशा लेकिन ऐसी सरकार अस्थिर ही बनी रहती हैं उसमें तानाशाही तो नहीं आती पर जनता का काम भी अच्छी तरह से नहीं होता हमेशा टांग खिचाई होती रहती हैं और पार्टियां देश और जनता के भले की न सोचते हुए अपना भला ज्यादा सोचती नजर आती हैं वर्त्तमान कि दोनों राष्ट्रिय पार्टियां बी जे पी और कांग्रेस अब राष्ट्रिय न होकर क्षेत्रीय स्तर की जैसी बन गयीं हैं क्यूंकी ये पार्टियां अब ज्यादा सीटें भी नहीं जीत पातीं ताकि इनको ज्यादा लोग ना खोजने पड़ें और आज कि राजनीती में क्षेत्रीय पार्टियां हावी हो रहीं हैं और जहाँ तक गठबंधन का सवाल है कुछ तो चुनाव पूर्व होते हैं तथा कुछ चुनाव के बाद भी होते हैं जब सरकार बनाने कि बारी आती हैं नेता बिकने लगते हैं या मंत्री पद पाने के लालच में समर्थन देते हैं अतः गठबंधन किस पार्टी से किया जाए किस नेता से किया जाए एक अहम् सवाल बन कर खड़ा होता है और एक मजबूरी सी हो जाती है और जो सरकार मजबूरी से बनेगी वह मजबूत कहाँ से होगी .
आज के हालातों में कोई भी सरकार (पार्टी ) नहीं है जो पूर्ण बहुमत कि हकदार हो या समूचे देश कि जनता उस पार्टी को पसंद करे और उस पार्टी को जायदा से ज्यादा वोटों से जीत दिलवाये . खंडित जनादेश आज कि नियती है सभी पार्टियां खासकर क्षेत्रीय पार्टियां अपने वायदे /इरादे जनता को सुनाते हैं कुछ को वे आंशिक तौर पर लागू कर पाते हैं, कुछ कार्य पूरा भी किये होते हैं बाकी के लिए खोखले वायदे करते हैं जिनकी सत्यता हमेशा संदेहास्पद ही रहती हैं आम जनता अपनी रोजमर्रा की दाल- रोटी कमाने में ही उलझी रहती है, बस कुछ थोड़े से प्रतिशत बुध्धिजीवी लोग पार्टियों/नेताओं के बखान में कसीदे काढ़ते रहते हैं और वैसे लोग इन पार्टियों एवं इन नेताओं का दिया ही खाते हैं. अगर क्षेत्र में कोई विकास कार्य हुवा होगा तो वह जमीन पर नजर भी आएगा सुविधाएँ मिलने से लोग उसका उपभोग करेंगे. चुनाव के दौरान हमेशा से नेता केवल झूठे वायदे ही किये जाते रहें हैं कारन की उन वायदों को पूरा नहीं करने कि सूरत में अपने देश में कोई ऐसा कानून ही नहीं आज तक बना कि उन नेताओं कि सदस्यता खतम की जा सके उनको पार्टी से निकाला जा सके और दुबारा से चुनाव लड़ने के लिए उन नेताओं को अयोग्य करार दिया जा सके अगर अपने देश का चुनाव आयोग कोई ऐसा सख्त कानून ला सके तो जरूर चुनाव बाद चुनकर आने वाले नेता वायदों को पूरा करने के लिए बाध्य होंगे , जनता का भला होगा और सही मायनों में अपना देश विश्व का एक सफल लोकतंत्र कहलायेगा लेकिन वर्त्तमान नेताओं में ऐसी इक्षा शक्ती नहीं दीखती केवल और केवल चुनाव जीतकर जोड़ तोड़ ,खरीद फरोख्त कर सत्ता में काबिज होना इन पार्टियों /नेताओं का सिद्धांत हो गया है
इस देश कि जनता चाहे गठबंधन की सरकार को स्वीकार करे ना करे हर सूरत में गठबंधन कि सरकार ही देश में बनने की पूर्ण सम्भावना है .हाँ !अगर इस देश कि जनता एक स्थिर और जवाबदेह सरकार चाहती है तो दोनों राष्ट्रिय पार्टियों में से किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत से जीत दिलाये. आज उसके लिए बी जे पी सबसे सही पार्टी कही जायेगी, क्यूंकी कांग्रेस पार्टी के १० साल के भ्रष्टाचार ,घोटालों को इस देश कि जनता ने झेला है और जानलेवा महंगाई उन घोटालों का परिणाम है जनता अगर सच मायनों में ट्रस्ट है तो कांग्रेस को चुनने कि गलती नहीं करेगी और गठबंधन एवं अस्थिर सरकार ना होकर स्थिर और मजबूत सरकार देश को मिलेगा . गठबंधन कि सरकार पर केवल प्रश्नचिन्ह लगाने से कुछ नहीं होने वाला गठबंधन कि अस्थिरता से निजात पाने के लिए किसी एक पार्टी को जीत दिलानी होगी किसी एक पार्टी पर भरोसा करना पड़ेगा और इसका पता आम चुनाव के बाद ही चलेगा और तभी यह मालूम चलेगा अपने देश में कैसी सरकार बनेगी गठबंधन की? या किसी एक मजबूत जवाबदेह राष्ट्रिय पार्टी की .

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