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चुनाव आयोग को और ज्यादा अधिकार दिए जाने की जरुरत

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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अगले महीने में पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होना है तारीखें घोषित हो चुकीं हैं, हर चुनाव की तरह इस बार भी तारीखों का एलान होने के बाद चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है नेताओं को लोक लुभावन भाषण नहीं करने किसी नए काम की शुरुआत नहीं हो सकती और ना जाने कितने ही जनविरोधी कानून लादे जाते हैं चुनावों के दौरान , मैं इसको जन विरोधी, यूँ ही नहीं कह रहा इस देश की जनता ने वर्षों से देखा है की नेता चुनाव प्रचार के दौरान जनता से कितने ही झूठे वायदे करते हैं और चुनाव ख़त्म होने पर अगर वे जीत के सरकार में आ जाते हैं तो हमेशा की तरह किसी योजना के काम के नहीं होने का ठीकरा केंद्र सरकार या विरोधी दलों पर थोपते हैं संसद एवं विधान सभा में हो हल्ला करते हैं और ना खुद कोई काम करते हैं और ना किसी को कोई काम करने देते हैं , अतः चुनाव आयोग को ऐसा अधिकार मिलना चाहिए की जिन नेताओं ने जनता से किये गए विकास एवं कल्याण कार्यों के वायदों को पूरा करने में बिफल होते हैं उनकी सदस्यता फ़ौरन रद्द होनी चाहिए . नेता चाहे सांसद हों या विधायक जब नौकरी पेशे अधिकारियों की तरह ये नेता वेतन- भत्ता लेते हैं फिर इनकी उसी हिसाब से जवाबदेही भी तय होनी चाहिए और जो सरकारी सेवा का कानून आम अधिकारियों पर लागू होती है इन पर भी लागू होना चाहिए . आखिर क्यों पार्टियां एवं नेता सुचना के अधिकार के तहत जवाबदेह नहीं ? जब पार्टियां अपना चुनाव मेनिफेस्टो जनता को सुनाती हैं और मैनिफेस्टो में घोषित कामों को पूरा नहीं करतीं फिर कैसे ऐसी पार्टी एवं सरकार सत्ता में काबिज रहती है अगर लोकतंत्र में ऐसा होगा फिर इसे सबसे ख़राब तंत्र कहा जायेगा जिसमें जनता को हीं नेताओं के ऐश मौज का बोझ ढोना हो और बदले में उनको झूठे सपने दिखाया जायेगा झूठे वायदे किये जाएंगे और जनता ठगी हीं रह जायेगी अगर चुनाव आयोग को चुनाव शांति पूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराने का जिम्मा है तो नेताओं को साधने का जिम्मा भी उसको मिलना चाहिए अक्सर ऐसा देखने को मिला है की कितने ही नेता आचार संहिता का उलघन करते हैं चुनाव आयोग उसका संज्ञान भी लेती है पर चुनाव बाद वही नेता चुनकर आ जाते हैं और उनपर कोई कार्रवाई नहीं होती केवल दिखाने के लिए एक मुकदमा दर्ज हो जाता है और उस मुक़दमे का फैसला नेता अपना कार्यकाल पूरा भी कर लेता है लेकिन उस नेता पर कोई कार्रवाई नहीं होती ,फिर ऐसे कानून का क्या औचित्य है? समय अब आ गया है की चुनाव आयोग को यह अधिकार हो की ऐसे नेताओं का चुनाव रद्द कर सके और उस सीट पर दुबारा चुनाव हो किसी और योग्य उम्मीदवार का जो चुनाव आयोग के कायदे कानून को मानता/जनता हो . और चुनाव के दौरान आखिर जनता का काम बंद क्यों कर दिया जाता है और ऐसा क्यों किया जाए? चुनाव आचार संहिता जनता के काम में बाधक क्यों हो ?आचार संहिता लागु होने के बाद भी नए एवं पुराने लोकहित के काम चुनाव के दौरान भी चलते रहने चाहिए क्योंकि जिन वर्षों में ऐसा आचार संहिता आया हो ए काम ना किये जाएँ इसका समर्थन करती है .जनता तो चाहती है की सरकार ,नेता एवं पार्टियां कम से कम चुनाव जीतने के लालच में ही जनता का अधिक से अधिक काम करें ऐसा होने से चुनाव आयोग को क्या फर्क पड़ता है क्या चुनाव आयोग नहीं देख रहा की सरकार के ५ साल के कार्यकाल में सरकार अधिकतम ध्यान नेताओं के सगे- सम्बन्धियों को ठेका दिलाने नौकरी दिलाने यहाँ तक की नयी पोस्ट बना दी जाती है अपने चहेते को फिट करने के लिए जब आखरी साल आता है तो सरकार का ध्यान जनता का आता है तब फटा फट जो कार्य दो से तीन साल पहले पूरे होने चाहिए थे उनका उद्घाटन जब चुनाव का साल आता है तब करते हैं अंदाज यही लगाया जा सकता है शायद ही कोई सरकार ३० % काम भी अपने कार्य काल में करती है . ऐसे हालात में मेरे विचार से
१. विधान सभा एवं लोकसभा का चुनाव एक साथ किये जाने चाहिए ( क्योंकि चुनावों में बेतहाशा पैसा खर्च होता है )
२.चुनाव आयोग को चुने हुए नेता को अयोग्य घोषित करने का अधिकार होना चाहिए जो नेता अपने क्षेत्र के लोगों से किये गए वायदे पूरे नहीं करते .
चुनाव के दौरान जो भी नेता नामांकन भरते हैं अगर पहले भी वे चुनाव जीत चुके हैं तो उनके क्षेत्र का दौरा चुनाव आयोग के अधिकारियों को करना चाहिए और वहां की जनता से सीधा सवाल करके पूछना चाहिए की इन नेता ने उस क्षेत्र का क्या काम कराया या किया . बेशक इसके लिए चुनाव आयोग में अतिरिक्त अधिकारियों की जरुरत हो तो सरकार भर्ती करे ऐसे लोगों का बोझ तो जनता उठा सकती है जो नेताओं को उनके कर्तब्य के प्रति जागरूक रहने को बाध्य करेगी . ना की नेताओं का बोझ जनता उठाये जो केवल और केवल जनता को छलते और ठगते आये हैं . जब ऐसा होगा तभी नेता एवं सरकार जनता के प्रति जवाबदेह होंगे और जनता का काम भी होगा जनता का कल्याण भी होगा

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