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दिल्ली में एमसीडी चुनाव होनेवाले हैं और पिछले दिनों दोनों राष्ट्रिय पार्टिया अपने अपने जीतने वाले प्रत्याशियों को टिकट बाट रहे थे जिसमे काफी लोग जो अपने आपको उम्मीदवारों की टोली में रखना चाहते थे और चुनाव में अपनी किस्मत आजमाना चाहते थे उन्हें नाउम्मीद होना पड़ा और वे बगावत करने पर आमादा हो गए . अब सवाल है , किस उम्मीदवार को टिकट दिया जाये ? क्या ! इसका फैसला उसके द्वारा पिछले कार्यकाल में किये गए छेत्र की जनता के काम को मद्देनजर रखकर नहीं करना चाहिए ? यह एक अहम् सवाल है अगर टिकट देने के लिए यह आवश्यक बनाया जाए तो शायद , जो ये मारा मारी टिकट के लिए हो रही है वह थम सकती है. और हो सकता है कुछ कम ही उम्मेदवार मिले जिनको की टिकट दिया जा सके , पर यहाँ तो खेल ही दूसरा है टिकट तो ये पार्टियाँ उनको ही देती हैं जिसने पिछले कार्यकाल के दौरान पार्टी का खजाना कितना भरा है या आज पार्टी के लिए कितना लेकर आया है और साथ ही चुनाव के दौरान और कितने करोड़ खर्च कर सकता है क्यूंकि अभी तक तो चुनाव पैसे के बल पर ही जीता जा रहा है इसके सैकड़ो उदाहरन हर चुनाव में जनता देख रही है और जनता का क्या है ? चुनाव कोई जीते उनका जीवन स्तर तो जैसा अब है उससे दिनों दिन बदतर ही होना है तो कुछ पैसे चुनाव के दौरान वोट देने के नाम पर मिल जाते है उसमे ही संतोष कर लेती है यहाँ की ७०% जनता जो निहायत ही गरीब है कम से कम उनके लिए तो यही मायने है चुनाव का और गरीबी का पैमाना हमारे विद्वान् योजना आयोग के अध्यक्छ देश को बता ही चुके हैं. जरुर राष्ट्रिय पार्टियों कांग्रेस एवं बीजेपी को इस महत्वपूर्ण विषय पर गौर करना चाहिए और जनता के बीच उनके प्रति फैली नाराजगी को ऐसी शुरुआत द्वारा जरुर दूर की जा सकती है और जब इन पार्टियों ने पैसा चुनाव में खर्चा करना ही है तो क्या? उसी पैसे से छेत्र का विकास करें तो ठीक नहीं होगा आशा है आनेवाले अगले चुनावों में ऐसा देखने को न मिले की टिकट के लिए इतना भीड़ इकठ्ठा हो जाये की पार्टी को पुलिस बल का सहारा लेना पड़े और मात्र २७२ सीटों के लिए ६ हजार प्रत्याशी भी चुनाव लड़ने न उतरे अगर काम को पैमाना माना जाने लगे तो मेरे ख्याल से उम्मीदवारों को टिकट उनको पार्टी कमान द्वार बुलाये जाने पर ही देने का फैसला किया जा सकता है यू बन्दर बाँट तो न हो. तभी अपने देश में लोकतंत्र स्वस्थ बनेगा और जनता के भी दुःख दूर होंगे नेताओं के प्रति देश की जनता में आदर बढेगा जो आज के नेता इस आदर को पाने के कितने ही तिकड़म कर रहे है . मैं इस विषय पर चर्चा रखना चाहता हूँ और जागरण परिवार के सदस्यों का विचार जानना चाहता हूँ क्यूंकि मैं इसे चुनाव प्रक्रिया के सुधार के रूप में देखता हूँ
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