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जब अपने देश की पुलीस ही असुरक्षीत हो जायेगी तब आम जनता की सुरक्षा का क्या होगा ?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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अभी हाल ही में उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कुंडा तहसील के बलिपूर गाँव में ग्रामीणों के साथ मुठभेंड में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी ) जियाउल हक की निर्मम हत्या हो गयी यह घटना हमारे देश के पुलिस बल की कलई खोलता है जो आज कितनी कमजोर और असहाय दीख रही है और तो और उस डीएसपी के साथ जो जवान गए थे वहां कानून ब्यवस्था को काबू करने वे भाग खड़े हुए और डीएसपी को गाँव वालों ने घेर कर कपडे उतारकर गोलियों से छलनी कर दिया यह पुलिस बल की गाल पर अपराधियों द्वारा करारा तमाचा है और उनको खुली चेतावनी है अपराधियों द्वारा की करो! , क्या करोगे? सुनने में तो यह भी आया है की उस क्षेत्र में राजा भईया (राजा रघुराज प्रताप सिंह ) की ही चलती है क्यूंकि इस गोली काण्ड में अपराधी कोई मामूली ब्यक्ति नहीं एक दबंग नेता के गुर्गे हैं जिनपर पहले से ही कई आपराधिक मुक़दमे चल रहें हैं और उनको(राजा भईया ) यूपी में जेल मंत्री बनाया हुवा है यह बहुत अच्छा है चोर को ही चौकीदारी की जिम्मेवारी दे दो बाकि के चोर धरे जायेंगे शायद इसी निति के तहत उत्तरप्रदेश के युवा मुख्य मंत्री उनको ऐसे मंत्रालय की जिम्मेवारी सौंपी होगी इस तरह एक वरिष्ट पुलिस अधिकारी की निर्मम हत्या हमारे पुलिस बल को असहाय और कमजोर साबीत करता नजर आ रहा है और इसका मुख्य कारन राजनीती का अपराधीकरण होना ही है जिन अपराधियों को पुलिस के अधिकारी एवं जवान दौड़ा दौड़ा कर पीछा करते रहे आज इन पुलिस वालों को उनकी सुरक्छा प्रदान करने में अपने प्राणों की आहुति तक देनी पड़ रही है यह एक गंभीर चिंतन और मंथन का विषय है और इस पर देश्ब्यापी चर्चा जरुरी है क्यूंकि फिर से कुछ प्रदेशों में विधान सभा चुनाव और आने वाले साल २१०४ में लोकसभा का चुनाव होना है और फिर से जनता को ऐसे अपराधियों को ही चुनने के लिए ये नेता ये चुनाव आयोग कहेगा क्यूंकि अभी तक ऐसा कोई चुनाव नहीं हुवा जिसमे अपराधी चुनकर नहीं आये हो चाहे पार्टी कोई भी हो सभी पार्टियाँ अपराधियों को टिकट देती हैं और वे अपनी दबंगई के बल पर चुन कर भी आ जाते हैं और ऐसे ऐसे कारनामे करते हैं वरना पुलिस का एक जवान अधिकारी यूँ मौत के घाट नहीं उतारा जाता ऐसे में , पुलिस को और ज्यादा ट्रेनिंग की जरुरत है उनका मनोबल गिरता जा रहा है और उनमें भीड़ का सामना करने की क्षमता नहीं बची है क्यूंकि उनको ज्यादातर ब्यक्ति विशेस खासकर ,नेताओं, मंत्रियों एवं कुछ खास ऐसे ही वि वि आई पी लोगों की सुरक्षा में ही लगाया जा रहा है अतः उनको भीड़ से डील करने की आदत ही नहीं रही है एक सर्वे आया था जिसमें आंकड़े दिए गए थे की देश की १२३ करोड़ जनता की सुरक्षा के लिए प्रति हजार पुलिस बल की संख्या कितनी है और वीआईपी एवं नेताओं के प्रति ब्यक्ति पुलिस का इन्तेजाम कितना है किस प्रतिशत में है अब ऐसे में आम जनता तो भगवान भरोसे ही जियेगी और ऐसे ही मारी जाएगी जब पुलिस अधिकारी ही मारा जा रहा है फिर जनता का क्या हाँ अगर देश में कोई सुरक्षित है तो वे नेता हैं वीआईपी हैं बाकि का क्या? कौन इसके लिए सवाल करेगा इस अलोकतांत्रिक सरकार से पुलिस तो नक्सली हमलों में भी आये दिन मारे जाते है जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के हाथों मारे जाते हैं ऐसा लगता है पुलिस तो केवल मारे जाने के लिए ही बनी है अतः आज जरुरत है पुलिस बल की संख्या में बढ़ोतरी हो खाली पड़े पदों को अविलम्ब भरा जाये नयी भरती अभियान चलायी जाये और केवल इस देश के नेताओं की सुरक्षा का ध्यान ही न रखा जाये आम आदमी की जान की भी परवाह की जाये क्यूंकि यहाँ नाजी शासन नहीं है लोकतंत्र है और जनता को भी जीने के लिए भारतीय संविधान में हक़ दिया गया है कृपया प्रधानमंत्री जी एवं मंत्रिगन इस ऑर भी अपना ध्यान लगायें वरना इस देश से लोकतंत्र की बिदाई हो जाएगी और कल को नेता भी सुरक्षित नहीं बचेंगे क्यूंकि पुलिस वाले भी तब सोचेंगे उनको क्या करना है बलिपूर गाँव की घटना को मामूली घटना न लिया जाये इसे अति संवेदनशील घटना की तरह लेते हुए इस मामले में दोषियों को अविलम्ब सजा दिया जाये वरना इस देश की कानून ब्यवस्था पर बड़ा ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ऐसा मेरा विचार है मैं अनुभवी पाठकों की राय भी जानना चाहूंगा

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