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देश की अदालतों के काम काज के तरीके पर प्रश्न ?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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आये दिन नेताओं के द्वारा भ्रष्टाचार ,घोटाला , अपराध आय से अधिक सम्पति का होना एक आम बात हो गयी है और नेता ही क्यों? जो लोग दुष्कर्म कर रहें हैं, दलितों वंचितों की अस्मत लूट रहें हैं, ऐसे सभी दोषी लोग आज समाज में रसूख वाले हैं जो देखा जाये तो इनका अपराध किसी आतंकवादी ,नक्सलवादी माओवादी से कम नहीं कहे जा सकते ये सभी एक ही कैटेगरी के लोग हैं और अफ़सोस इस बात का है की हमारी अदालतें हमारा कानून इन संगीन अपराधियों एवं समाज के दुश्मनों को, मानवता के दुश्मनों को बजाय! सजा दिलाने के इनकों क़ानूनी दाव पेंच के द्वारा केवल और केवल बचाने का काम करती दिखलाई पड़ रहीं हैं इससे any अपराधियों का मनोबल बढ़ता है और ज्यादा से ज्यादा लोग अपराध का रास्ता चुनने लगे हैं अदालतों के काम काज करने के इस अमानवीय तरीके से आम जनता में सरकार और अदालतों एवं कानून के प्रति भयंकर अविश्वास का माहौल पैदा हो रहा है, जनता निराश दीख रही है विगत २६ मई को अपने देश में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी ने अपने शपथ ग्रहण करते समय ही देश की जनता को आस्वस्थ किया था, और यह कहा था , अब अपने देश में कानून का राज आएगा और यह भी कहा था “हूँ खातों नथी , ने खावा देतो नथी ” जिसका मतलब है “ना मैं खुद खता हूँ ना किसीको खाने देता हूँ. वर्तमान में इतना तो जनता को दिखाई दे ही रहा है की मोदी जी के राज में अभी तक कोई भ्र्ष्टाचार का मामला प्रकाश में नहीं आया है पर जो वादा प्रधानमंत्री ने नेताओं के mukadmon के बारे में कहा था उसमें कुछ भी होता दिखलाई नहीं पड़ पड़ रहा है उन्होंने कहा था जिन नेताओं एवं मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक एवं आर्थिक मुकदमें अदालतों में वर्षों से लंबित हैं उनका फैसला साल भर के भीतर करने का अदालतों को निर्देश दिया है जाहिर है मोदी जी का ऐसा फैसला देश की निचली अदालतों के लिए भी समान रूप से लागु होता है वर्तमान में सजाये आफ्ता नेता भी जमानत पर देश में पार्टी मुखिया बनकर बेबाक घूम रहें हैं और haay ri इस देश की मूरख जनता यह सब जानते समझते हुए भी की इसी नेता को अदालत सजा सुना चुकी है vah नेता उनसे वोट mangne आया है और जनता ऐसे अपराधियों को apna नेता mante हुए chunav में उनको jitva दे रही है यह भी एक anutarit प्रश्न ही है की aakhir इस देश की जनता को huva क्या है? यह bade अफ़सोस की बात है जनता कब जागरूक होगी और कितना जुल्म sitam सहेगी अभी हाल ही में तमिलनाडु की मुख्य मंत्री जयललिता को अदालत ने सजा सुनाया . जैसे ही उनको सजा सुनाया गया इसके फ़ौरन बाद यह khabar छपी जयललिता बीमार हैं यह अक्सर उन नेताओं के सम्बन्ध में देखने को मिल रहा है की जैसे ही नेताओं के खिलाफ कोई अदालत का फैसला आता है वे फ़ौरन बीमार हो जाते हैं और उनको बीमार होने का डाकटरी प्रमाण भी मिल जाता है सबसे पहले तो उन डाक्टरों के खिलाफ मुकदमा चलना चाहिए जो अपराधियों को बचाने एवं संरक्षण देने का अपराध कर रहें हैं और उन अदालतों का क्या की एक अदालत ने फैसला सुनाया तो अपराधी उसके ऊपरी अदालत में पैसे के बदौलत फिर से जमानत पर छोड़ दिया जाता है कानूनी दाव पेंच तो आम इंसान जानता नहीं पर ऐसे फैसलों से आश्चर्य तो जरूर होता है देश के वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी से जनता को बहुत उम्मीदें हैं ऐसी आशा की जा सकती है की प्रधानमंत्री एवं कानून मंत्री जी का ध्यान इस विशेस विषय जिससे राजनीती में सुचिता आये राजनीती में अपराधीकरण को समाप्त किया जाए और साथ ही ऐसे सवाल, ऐसी समस्या जनता से सीधे सरोकार रखने वालें हैं और जिनसे जनता का सरकार के प्रति विश्वास बनने वाला है ऐसा कोई फैसला सरकार को अदालतों के प्रति भी जरूर करना चाहिए ताकि जानता को विश्वास हो की देश की अदालतों में न्याय होता है वहां न्याय मिलता है ऐसी उम्मीद जनता में जगाने का nishchay भी सरकार को ही करना है आशा है देश के मुखिया का ध्यान इस or avilamb jayegaa और देश में कानून काम कर रहा है अदालतें अपने काम काज को sahee रूप से anjaam दे रहीं हैं और देश में कानून का raj sthapit हो रहा है kyunki यह महत्वपूर्ण प्रश्न है. iski aavshyakta को सरकार एवं अदालत donon को सामान रूप से देने की jaroorat है

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