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नोट बंदी से किसका फायदा ?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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८ नवम्बर को रात आठ बजे देश के प्रधानमंत्री मोदी ने यका एक दूर दर्शन के चैनलों पर घोषणा की आज रात १२ बजे के बाद से वर्तमान में जारी ५०० और हजार के नोट नहीं चलेंगे ऐसा. इस एलान से पूरे देश में जैसे हड़कंप मच गया, साथ हीं साथ उन्होंने यह भी एलान किया की इसकी प्रक्रिया ३० दिसंबर तक पूरी की जाएगी और देश की जनता से ५० दिनों का समय माँगा . दूसरे दिन से बैंकों में लाइन लगने लगी कोई नोट बदलने के लिए खड़ा था तो कोई अपने पास रखे ५०० और हजार के पुराने नोट अपने खते में जमा करने के लिए खड़ा था . बैंक में जमा करने की सीमा तो तय नहीं थी पर निकालने की सीमा तय थी अफरा तफरी का माहौल बन गया पूरे देश में .यहाँ तक की जो ब्यक्ति कभी महीने छह महीने में बैंक जाता था वह भी बैंक की लाइन में खड़ा हो गया कुछ लोग अपने लिए तो कुछ लोग काले धन वालों का काला धन सफ़ेद करने के लिए, इतना हीं नहीं इन लोगों को लाइन में खड़े होने के एवज में अच्छे खासे पैसे मिलने लगे लोग मजदूरी करना छोड़ बैंक की लाइन में खड़ा होना ज्यादा फायदेमंद समझने लगे .जब ऐसा हुवा तो सरकार इस पर लगाम लगाने के लिए ऊँगली पर सियाही लगाना शुरू किया ताकि एक ब्यक्ति एक बार से ज्यादा बैंक में नोट बदलने ना आ सके सियाही भी वही लगायी गयी जो चुनाव के समय मतदान करने आये लोगों की उँगलियों पद लगाए जाते हैं जो एक खास किस्म की स्याही होती है जो मिटती नहीं है और इस क्रम में देश में जनता और राजनितिक पार्टियों की ओर तरह तरह की टिप्पणी आने लगी टेलीविजन पर दिन भर यही खबर छाया रहा जो कमो बेस आज भी है .नोट बंदी को पूरे एक महीने पुरे हो गए ८ दिसंबर को . इस नोट बंदी का सबसे बड़ा नुकसान संसद में दिखा, शीत कालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया और संसद में जनता का कोई काम नहीं हुवा . यहाँ तक की राष्ट्रपति महोदय ने भी एतराज जताया और कहा विपक्ष को देश की जनता का ख्याल भी करना है जिस संसद की कार्रवाई को दूर दर्शन पर पूरे देश की जनता देख रही है वह इन नेताओं और पार्टियों के बारे में क्या सोचेगी .पार्टी नेताओं को अच्छी तरह मालूम है की निकट भविष्य में देश के पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं नेताओं और पार्टियों का यह ब्यवहार क्या उनको आने वाले चुनाव में भारी नहीं पड़ेगा . खासकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी को इनको तो संजीदगी से सोचना चाहिए जब वे संसद में ४० के आंकड़े पर सिमट गए फिर भी उनको अकल नहीं आयी . आजकल राहुल गाँधी फिर से कुर्ते की बाहं चढ़ा रहें हैं और कह रहे हैं मैं संसद में बोलूंगा तो भूचाल आ जायेगा .उनसे कोई पूछे उन्होंने बोलना कब सीख लिया ? उनको अगर बोलना ही आता तो कांग्रेस की इतनी बड़ी हार नहीं होती . हाँ इतना जरूर है नोट बंदी से जनता को परेशानी हुयी है खासकर गरीब और मजदुर वर्ग को .लेकिन जनता तो हमेशा कह रही है जो कुछ हुवा है अच्छा हुवा है क्योंकि पैसे वाले धौंस दिखाते थे वे पैसे वाले हैं और पैसे के बल पर कुछ भी कर सकते हैं .लेकिन रातों रात ऐसे लोगों का पैसा रद्दी का टुकड़ा बन गया लोगों ने हजार के नोटों को गंगा में बहते देखा और काले धन को सफ़ेद करने के लिए इन अमीरों ने गरीबों का सहारा लिया . लेकिन इतनी सब कवायद के बाद क्या काला धन अब नहीं बनेगा ? लाख टके का सवाल यही है . मेरी राय में इन पचास दिनों में ही करोड़ों अरबों का काला धन फिर से देश में बन गया .आये दिन करोड़ों के नए नोट पकडे जा रहें हैं .जो नहीं पकडे जा रहे वे तो काला धन हीं बनते जा रहें हैं . अतः इतनी कवायद के बाद कोई ख़ास फायदा देश को या देश की जनता को नहीं होने जा रहा . मोदी जी को २०१४ के मई महीने से हीं पता है काला धन किनलोगों के पास है ? क्योंकि मोदी जब २०१४ में चुनाव जीत के आये तो क्या? उनका चुनाव सफ़ेद धन से हुवा था पूरे देश की जनता को पता है चुनाव और मकान इस देश में काले धन के बिना नहीं होता .यहाँ तक की शादी विवाह, बच्चों की पढ़ाई, ऐश- मौज सब कुछ काले धन से हीं होता है और यह सब आज के दिन में बुनियादी जरुरत में आ गया है अतः काला धन ख़तम करने के लिए मेरा यह सुझाव है . वह है , सरकारी मशीनरी अपना काम ईमानदारी से करे आयकर अधिकारियों को अच्छी तरह पता है किन लोगों के पास काला धन है क्योंकि काला धन इनकी मिली भगत से हीं बनता है .ये अधिकारी हीं उनको रास्ते बताते हैं एक और महकमा है चार्टर्ड अकाउंटेंट यह भी काला धन सफ़ेद कैसे होगा इसके रस्ते एवं तरीके बताता है .तो सबसे पहले देश में संपत्ति की सीमा निर्धारित करनी पड़ेगी क्योंकि यही नहीं है जिसके चलते काले धन का चलन है ,केवल अपने देश में हीं नहीं बल्कि पूरे विश्व में अतः सरकार को सबसे पहले अपने मातहत अधिकारियों को सफ़ेद करना होगा और ऐसी ब्यवस्था करनी होगी की सबको समान शिक्षा मिले , शिक्षा सबके बच्चों को मिले कोई प्राइवेट स्कुल ना हो अगर हो तो उसमें दाखिले के लिए कोई पैसा ना लगे .क्योंकि आम इंसान का अपने देश में पैसे कमाने का एक हीं मकसद है वह की उसके बच्चे अच्छी पढ़ाई पढ़ें ,उनका शादी ब्याह अच्छे से हो जाये रहने को एक घर हो जाये और आव गमन के लिए एक साधन हो जो यदि पब्लिक ट्रांसपोर्ट हो तो ज्यादा अच्छा और इतने काम में हीं आम आदमी का पूरा जीवन निकल जाता है इसके आगे वह कुछ सोंच भी नहीं पाता क्योंकि इतने का हीं इंतेजाम वह पूरी जिंदगी नहीं कर पाता . अतः मोदी जी नोट बंदी के बजाये यह सब कैसे होगा ? इसके लिए कुछ करिये तो जरूर देश की आम जनता में भी खुश हाली आएगी और काला धन पर भी लगाम लगेगा . क्योंकि संपत्ति की सीमा निर्धारित हो जाएगी तो कोई ज्यादा धन कमायेगा क्यों ? जो धन काला बन जाए .आज गाँधी जी की कही वो बातें याद आती है ” my लाइफ इज मई मेसेज ” और ” सदा जीवन उच्च विचार ” अगर मोदी जी भी गाँधी की बातों को मानते हैं तो खुद को और जनता को यही सन्देश दें सबसे पहले अपने जीवन में सादगी लाएं और सचमुच के प्रधान सेवक बनके दिखाएँ जैसा उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में देश की जनता को बताया था .

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