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आने वाले महीनों में देश के ५ राज्यों में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं . सबको मालूम है चुनावों में नेता एवं पार्टियां चुनाव के दौरान बेहिसाब पैसे खर्चने वाले हैं क्योंकि अभी तक यही अनुभव रहा है की पार्टियां चुनावों के दौरान जनता से वोट मांगने के लिए तरह तरह से प्रलोभन देते हैं रूपये भी बांटते हैं और सपने भी दिखाते हैं की अगर वे जीत के आये तो प्रदेश के लोगों को खुशहाल कर देंगे . कुल मिलाकर चुनाव धनबल पर ही जीते जाते हैं यही देश की चुनावी सच्चाई है . विश्व के अन्य देशों में भी चुनाव पर धन की बर्बादी होती है लेकिन कुछ ऐसे भी देश हैं जहाँ सरकारी खर्चे से चुनाव लडे जाते हैं. उनमे एक देश है “फ़्रांस” इस देश में ब्यापारी समुदाय से चंदे लेने पर भी पाबन्दी है ! मेरी राय में अपने देश में भी चुनाव सरकारी खर्चे से ही होना चाहिए और इसके लिए एक अलग से विभाग होना चाहिए जिसे “चुनाव फंड” के नाम से जाना जाए, जिस किसी ब्यापारी या कारोबारी को पार्टियों को चंदा देना हो वे उसी फंड के अंदर चंदा दें और उसको वित्त मंत्रालय एवं चुनाव आयोग मोनिटर करे इसका सालाना आडिट भी हो और एक सीमा निर्धारित की जाये की पार्टियों एवं नेताओं को कितना अधिकतम धन खर्चे के लिए दिया जाना चाहिए इसका सर्वसम्मत्ति से निर्णय किया जाए . देश में एक चुनाव कमिटी का गठन किया जाए जिसमें सभी राष्ट्रिय पार्टियों के प्रतिनिधि हों . ऐसा करने से चुनावों में धन के दुरूपयोग में जरूर एक हद तक रुकावट आएगी और देश चुनाव खर्च के भारी भरकम बोझ से निजात पा सकेगा और चुनाव खर्च से बचा धन देश के निर्माण एवं विकास कार्यों में खर्च किया जा सकेगा . ऐसे फंड के बनने से चुनाव में अब तक खर्च होते रहने वाले काले धन के उपयोग की समस्या भी नहीं रह जाएगी , आज देश के प्रधानमंत्री मोदी जी नोट- बंदी की घोषणा करके जो विरोध का सामना कर रहें हैं उसका भी समाधान हो जायेगा और सच मायनों में उनका यह कदम सराहनीय कहा जायेगा और काले धन की समस्या भविष्य में भी नहीं बन पायेगी जब काले धन का इस्तेमाल का रास्ता हीं बंद कर दिया जायेगा . बेशक इसके लिए सर्व दलीय बैठक ही क्यों ना बुलानी पड़े | कल श्री मोदी जी उत्तराखंड के देहरादून में एक बहुउद्द्देशीय योजना का शिलान्यास करने आ रहें हैं जो की चार धाम यात्रा के लिए एक बड़ी एवं वर्तमान से कम दूरी की सड़क बनाने की योजना है और यह ऐसी सड़क योजना है जो पूरे सीजन निर्बाध यात्रा में सहायक होगी उसी के उद्घाटन के दौरान यह घोषणा भी करते तो जनता को ज्यादा विश्वास होता उनपर . क्योंकि जब लक्ष्य है काले धन की समाप्ति, देश से समानांतर अर्थ ब्यवस्था पर पाबन्दी, तो चुनावों में खर्च होनेवाले काले धन की समाप्ति सबसे अहम् है आज देश में घूम रहा काला धन हमारी अर्थ ब्यवस्था को बेपटरी कर दे रहा है और देश की महत्वपूर्ण योजनाएं धन की कमी से समय पर पूरी नहीं हो पा रहीं इसके मूल में देश में ब्याप्त काला धन हीं है , चुनावी फंड बना दिए जाने पर इस समस्या का जड़ से नाश हो जायेगा देश खुशहाल बन जाएगा और देश में काला धन रखने की कोई जुर्रत ही नहीं करेगा अगर इसमें लिप्त चाँद लोगों को जेल के सलाखों के पीछे सदा सदा के लिए बंद कर दिया जायेगा . अगर देश में विधान सभा और लोकसभा दोनों चुनाव एक साथ किये जाने पर सर्वसम्मत्ति बन जाए और ऐसा होने लगे जिसकी चर्चा वर्तमान में हो भी रही है तो देश में चुनावों में बर्बाद होने वाला धन देश के कल्याण कार्यों में लगाया जा सकेगा और यही जनहित में होगा . अगर देश की राजनितिक पार्टियां एवं देश के दिग्गज नेता इस मसले पर गंभीरता से विचार कर ऐसा कानून लाएं तो इसमें हीं देशहित एवं जनहित .और “बहुजनहिताय ,बहुजन सुखाय वाली कहावत सच्चाई के रूप में देश में दिखलाई पड़ेगी . और अपना देश भारतवर्ष सही मायनों में विश्व का विशालतम लोकतान्त्रिक देश का दर्जा पायेगा और अपना देश गौरान्वित होगा . चुनावों में पारदर्शिता भी तभी आएगी |
अशोक कुमार दुबे
देहरादून
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