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राजनीति का बहुत बड़ा खुलासा

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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आज दैनिक जागरण अख़बार में निशिकांत ठाकुर द्वारा लिखित “बयानों का निहितार्थ ” आलेख पढने को मिला उसमें उन्होंने लिखा है ६५ वर्षों में देश की जनता ने राजनीति के सैकड़ों रंग देखे आज जनता का कोई भी वर्ग या समुदाय अब इतना नासमझ नहीं रह गया की राजनेता जो दिखाए वही वह देखे और जो समझाए वही समझे निस्संदेह इन बीते ६५ वर्षों में जिसमें ५० वर्षों से ज्यादा कांग्रेस ही सत्ता और शासन में रही है उसके नेता अगर कोई बयां देते हैं तो उस में कितनी सत्यता है और कितना वह बयां जनहित में है यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है , पिछले दिनों जब इशरत जहाँ मुठभेड़ के विषय में जो बयान- बाजी इन नेताओं ने की उससे अपने देश की गुप्तचर संस्था और सीबी आई किसके दबाव में काम आज कर रहीं है यह अच्छी तरह यहाँ की जनता जान गयी है अब ये नेता ये पार्टियां जो अपने को सेकुलर का नाम देती हैं वे देश की सुरक्षा को भी दाव पर रखकर किसी एक समुदाय का भरोसा जीतने की कवायद में लगी हुयी हैं और दिनोदिन सुरक्षा कार्य में लगे लोगों का मनोबल गिरता जा रहा है ऐसे में आगे से उन जांच एजेंसियों को कोई ऐसी आतंकवादी घटना की जानकारी भी मिलेगी तो वे दस बार सोचेंगे इस जानकारी को सरकार को दिया जाये या नहीं क्यूंकि अगर कल को उनपर ही सिकंजा कसने की तय्यारी होगी तो वे ऐसा क्यूँ कर करेंगे? और जैसा अब तक होता आया है वैसा ही होगा की किसी हमले की सूचना मिलेगी भी और हमला हो भी जायेगा क्यूंकि उस जानकारी को समय रहते दिया ही नहीं जायेगा अब केवल ड्यूटी की खाना पूर्ती होगी अभी बाटला हाउस मुठभेड़ के मामले में जब दोषी को सजा सुनाने का वख्त आया है तब फिर से उसपर राजनीति हो रही है की वह भी फर्जी मुठभेड़ था जिसमें अपने देश का एक जाबांज युवा सब इन्स्पेक्टर शहीद हो गया ये नेता यह भी नहीं सोचते उस शहीद परिवार के लोगों पर क्या बीतेगी अतः आज यह साफ़ हो चूका है की जितनी भी पार्टियाँ आज अपने को सेकुलर कहती हैं वे हिन्दू विरोधी और मुस्लिम पक्षधर है और उनकी भाषा में सेकुलर होने की यही परिभासा है जो एकदम अलोकतांत्रिक सोंच है और शायद इन नेताओं को पता न हो अब मुस्लिम विरादरी भी समझदार हो गयी है इन नेताओं के ऐसे बयानों से वे इन पार्टियों को ही वोट देंगी ऐसा नहीं है और आज के नेता संसद क्यूँ कर पहुचते हैं इसका खुलासा भी कांग्रेस पार्टी के एक सांसद ने ही कर दिया है उनका कहना है १०० करोड़ में राज्य सभा की सीट मिलती है और साथ में यह भी बयां दिया की उनको एक सांसद ने यह बताया है की उनको ८० करोड़ ही लगे राज्यसभा में जाने में उनका २० करोड़ का फायदा हो गया और चौधरी वीरेंद्र सिंह जो हरियाणा से राज्य सभा के सांसद हैं वे केवल इसलिए ही रेल मंत्री नहीं बन सके क्यूंकि उनके पास इस पद को पाने का दाम नहीं था क्यूंकि वह पद निश्चीत रूप से २०० करोड़ से ऊपर का होगा जो शयद बंसल जी चुकाए होंगे और अपनी चुकाई रकम की वसूली के लिए ही वे घूस काण्ड में फंसा दिए गए क्यूंकि चौधरी जी का ही कहना है की जो ब्यक्ति या नेता १०० करोड़ देकर सांसद बनेगा वह गरीबों की बात कैसे करेगा? वह तो अपने सौ करोड़ को कैसे वापस हासिल किया जाये इसके जुगाड़ में ही लगेगा ना !
उनकी इन बातों में सच्चाई नजर आती है और यही कारन है की आज राज बब्बर जैसे नेता बम्बई में १२ रूपये की थाली से भर पेट खाना खाने की बात करते हैं और कांग्रेस के दुसरे मुस्लिम नेता ५ रूपये में दिल्ली के जमा मस्जिद इलाके में भर पेट खाना मिलता है ऐसी बातें करते हैं भला हो उन जागरूक जनता का जिन्होंने इन नेताओं को १२ रूपये और पांच रूपये का मनी आर्डर भेजा है और साथ ही १०० थालियों का आर्डर भी भेजा है. अब सोचने की बात है की आखिर ये नेता इस तरह की बयान बजी करते क्यूँ हैं और इनकी ऐसी तर्कहीन बयान के लिए कोई इनको पूछने वाला क्यूँ नहीं? जिस नेता को जो मर्जी में आये बोल दे भले उनकी इन जहर उगलती बातों से जनता का ह्रदय तार तार हो जाये क्या आज राजनीति की पूरी की पूरी जमात संवेदनहीन हो गयी है? इन नेताओं को अब जनता की बिलकुल पड़ी नहीं है कैसे इस कमरतोड़ महंगाई में गरीब लोग अपना पेट पाल रहे हैं, योजनाओं के नाम पर लाखो करोड़ों की लूट इन नेताओं और अफसरों की मिलीभगत से आज देश में चल रही है और सरकार में बैठे लोग हर रोज जले पर नमक छिड़कने वाला बयान देते जा रहे हैं.
टेलीविजन के न्यूज़ चैनलों पर सारे दिन चुनाव में किसको कितना सीट मिलने वाला है इसका सर्वेक्षण दिखा रहे हैं कम से कम कुछ ऐसा भी दिखाएँ किन भ्रष्ट अधिकारीयों की सम्पति कुर्क की गयी किसको सजा हुयी यह भी तो दिखाएँ ताकि चोरी करने वालों घोटाला करने वालों को कोई सबक मिले या यूँ कह दें की घोटाला तो करेंगे ही आप अगली बार हमें चुनो या न चुनो इससे क्या फर्क पड़ता है विपक्ष में बैठकर हंगामा तो करेंगे ना सरकार किसी की आये कोई काम करने ही नहीं देंगे, फिर देखो अगली बार हमें चुनते हो या नहीं? यहाँ तक राजनितिक दुश्मनी आज साधी जा रही है की इस देश के ६० सांसद सामूहिक रूप से आवेदन करते हैं अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा को की ओबामा जी नरेन्द्र मोदी को अमेरिका का वीसा मत देना कहाँ गयी इन नेताओं की देश की सार्वभौमिकता की रक्षा करने की शपथ क्या ऐसा लिखने से देश की सार्वभौमिकता पर कोई आंच नहीं आती? अगर आती है तो फ़ौरन लोकसभा अध्यक्ष को चाहिए की उन सांसदों की सदस्यता ख़त्म की जानी चाहिए यही देश हित में फैसला कहलायेगा और ऐसे नेताओं को आनेवाले चुनाव में टिकट भी नहीं दिया जाना चाहिए जो नेता अपने देश की समस्या को किसी गैर देश के राष्ट्राध्यक्ष से सुलझाने की गुहार लगा रहे हैं यह कहाँ तक संविधान सम्मत बात है इससे देश का अपमान हुवा है इसका संज्ञान भी प्रधानमन्त्री महोदय को लेना चाहिए यह राष्ट्र के सम्मान की बात है १२५ करोड़ जनता की मौलिक अधिकार की बात है आशा है इस पर जागरण जंक्शन में भी चर्चा होगी.

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