- 37 Posts
- 27 Comments
एक समय था जब प्रख्यात कथाकार श्री राजेन्द्र यादव जी ने हनुमान जी को विश्व का पहला आतंकवादी कहकर मीडिया की सुर्खी बटोरी थी।
समय ने सुर्खियां बटोरने के हुनर को उनके मातहतों तक पहुंचाया और दुर्भाग्य से अपने जीवन के अंतिम सप्ताह में पहुँच चुके उस महान कथाकार को उसके एक अदने से मुलाजिम ने थाने का रास्ता तक दिखाया।
इस विवाद पर श्री राजेंद यादव जी ने जीवनपर्यंत कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की थी।
उन्होंने अपने जीवित रहते प्रकाशित हुये हंस के अंतिम संपादकीय ‘तेरी मेरी उसकी बात’ में ज्योति कुमारी से संबंधित विवाद के लिये बस इतने ही शब्दों को सम्मिलित किया थाः-
…………हंस के सितम्बर 2013 में मेरे संपादन में ज्योति कुमारी को अपमानित करना मेरी मंशा नहीं थी उसमें जो तथ्य दिये गये हैं (यथा मासिक राशि काम करने के लिये कम……कहानी का पारिश्रमिक , संघर्षशील…काम मे रिपोर्ट, टिप्पणी, समीक्षा….) उसके लिये मुझे खेद है। उनकी लिखी समीक्षा उनके मना करने के बावजूद छप गयी इसका भी मुझे अफसोस है।
राजेन्द्र यादव
संपादक हंस
अक्टूबर 2013
Read Comments