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लखनऊ शहर की तरह बरेली शहर में भी ऐक बारादरी है। सूचना दी गयी जनमाष्टमी और आगामी त्यौहारों के अवसर पर शहर में अमन कायम रहे इसके लिये नगर पीस कमेटी की बैठक बारादरी में आहूत की गयी है सो मैं भी बैठक में शिरकत के लिये बारादरी पहुंचा तो वहाॅ बारदरी जैसा कोई स्थान न देखकर संकोच में पड गया तभी सारथी ने बताया कि
” सर…! बरेली की बारादरी लखनऊ जैसी नहीं है। यह तो यहाॅ के एक थाने का नाम है, थाना बारादरी।”
और मैं चुपचाप थाना बारादरी में दाखिल हो गया।
बहरहाल थाना परिसर बारादरी में आहूत पीस कमेटी के बैठक के बाद मैने वहाॅ उपस्थित एक पुराने स्टाफ से पूछा-
”क्या तुम्हे मालूम है कि बरेली वाला प्रसिद्ध झुमका कैसा था…?”
मैने जिस भाव में पूछा था उसने भी उसी भाव में उत्तर दिया –
”जी हाॅ सर…. ! सुना तो हमने भी है कि झुमका बडा आकर्षक था।
यही बैरक से निकल कर गया था और बरेली के बाजार मे गिर गया था।”
मैं सकपकाया और पूछा-
”क्या मतलब …? बैरक से निकला था ….? अरे झुमका भी बैरक में रखा जाता है क्या….?
वो बोला-
”अरे… सर…! सकपकाइये नहीं…!, बताया जाता है कि यही बैरक में ‘झुमका’ नाम का ऐक सिपाही हुआ करता था। आकर्षक था, और अपनी आदतों को लेकर बरेली भर में चर्चित भी रहता था, एक दिन यहीं बैरक से निकलकर गया और बरेली के बजार में मार दिया गया। उसके मारे जाने की खबर कुछ इस तरह दी गयी कि …..बाजार में ‘झुमका’ गिरा दिया गया…. और बस तभी से यह चल निकला कि- …”झुमका गिरा रे….! बरेली के बाजार में …!”
”ओह …! तो यह बात है…!”
मैने आश्चर्य व्यक्त किया और विचार करने लगा कि मैं ठीक ही सोच रहा था कि बरेली की गलियों में झुमका ढूंढने निकलूंगा तो इससे जुडे किंवदंतियाॅ अवश्य मिलेंगी। अब यह वाकया सच है अथवा झूठ, मुझे नहीं मालूम परन्तु झुमका गिरने की पहली किंवदंती तो हाथ लग ही गयी
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