एक विश्वास
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वतन पे जान दे दूँ ये हक हमको भी दे देते,
खुदा मेरे शहीदों में मेरा भी नाम लिख लेते।
मेरे हाथों को छोटी सी पतवार मिल जाती,
इस देश की नौका जरा हम भी तो खे देते।
समय की बात है वरना कहाँ होता है ऐसा?
हम घर के आँगन में ही अण्डे साँप के सेते।
कर्ज जिनका फर्ज़ है वो क्या किसी को दें,
पर शिकायत है खुदा जिंदगी खुशहाल देते।
चले कहाँ से किन रास्तों से है किसे ये याद,
न अतीत भूलते तो नहीं जलालत मोल लेते।
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