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इस्लामिक सोच

एक विश्वास
एक विश्वास
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एएमयू में जिन्ना की तस्वीर को लेकर चल रहे विवाद ने मेरी पूर्व धारणा को और भी बलवती बना दिया है कि मुसलमान कभी भारत का नहीं होने वाला है क्योंकि आधे ये ज्यादा लोग  अपने धर्म की सड़ी गली मानसिकता को कभी छोड़ नहीं सकते हैं। जो धर्म से अधिक देश को प्राथमिकता देनेवाले हैं वो मुट्ठी भर लोग कुछ करने के लायक नहीं हैं क्योंकि वो घर गृहस्थी के बोझ से दबे हैं और जिम्मेदारी का निर्वहन ही उनके लिए मुश्किल हो जाता है। यह वो लोग हैं जो न सरकारी मदद ले पाते हैं और न ही जेहाद के लिए विदेश से आनेवाली रकम में ही हिस्सा पाते हैं। ऐसे में जेहादी बढ़ते ही जा रहे हैं और नेता वोटों के लिए देश बेच रहे हैं। सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जेहादी वो ही नहीं बन रहे हैं जो अनपढ़ धार्मिक है आज वो बन रहे हैं जो पढ़े लिखे अधार्मिक हैं।

आजादी के बाद मुस्लिम जीन युक्त नेहरू और व्यसनी गाँधी ने मुसलमानों को योजनाबद्ध तरीके से यहाँ रोका ताकि अधार्मिक परन्तु पढ़े लिखे जिन्ना को अधार्मिक और पढ़े लिखे नेहरू गाँधी सम्मान दिला सकें और उसके मंसूबे पूरे कर सकें भारत में गजवाएहिंद के लिए। मुसलमान गोडसे को आतंकवादी क्यों कहता है? ये निकृष्टतम लोग बताएँ तो सही कि गोडसे ने कितनो का कत्ल किया और उसमे कितने मुसलमान थे? है कोई जवाब नहीं है न। होगा भी कैसे क्योंकि गोडसे कोई जिहादी नहीं था। उसने अपने पूरे जीवन काल में मात्र एक हत्या की थी वो भी अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु भारी मन से अपने आराध्य तुल्य व्यक्ति की। यह हत्या जायज़ नहीं थी परन्तु हत्या करनेवाले ने सोचा कि वो भारत को बचा रहा है इसलिए उसने कर दी परन्तु तुम लोग क्या करते हो? कभी अपने गिरेबान में तो झाँकोगे नहीं। तुम्हारे स्वभाव में है युद्ध लूट और बलात्कार जो तुमसे आधे हिंदुओं ने सीख लिया है जो तुम्हें परेशान कर रहा है और तुमने भारतीय संस्कृति का ककहरा भी नहीं सीखना चाहा तो तुम सामंजस्य कैसे बना सकते हो? दस प्रतिशत मुसलमान ही भारतीयता में विश्वास करते हैं बाक़ी वो हैं जिनको या तो इन बातों से मतलब नहीं है या वो जिहादी बन चुके हैं।

भारत से जिहाद की समस्या समाप्त नहीं होनेवाली है बल्कि यह समस्या तो भारत को ही समाप्त कर देगी। मुसलमान की हिंदू संस्कृति से नफ़रत और हिंदुओं की आपसी फूट जेहाद को खाद पानी देती रहेगी और नेता लोग कीटनाशक का छिड़काव करके जेहादियों की प्रजाति को बचाने का काम तो आजादी के समय से ही करते आ रहे हैं। उदाहरण आपके सामने है कि पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी वापस खदेड़ दिए गए और रोहिंग्या तथा बांग्लादेश से आए सरकारी दामाद मुस्लिम यहाँ चोरी डकैती कत्ल बलात्कार और धर्मपरिवर्तन करवा कर ऐश कर रहे हैं। और हिंदू अपनी बरबादी की इबारत लिख रहा है गलत नेताओं को सत्ता दे दे कर और जातीय वैमनस्य फैला। इनको ब्राह्मण महासभा क्षत्रिय महासभा चाहिए और दोगलापन तो देखिए कि ये वहाँ भी असफल हैं क्योंकि अपने ही तबके के गरीबों का उत्थान ये अपनी महासभा के द्वारा नहीं करते हैं।

देश में गृहयुद्ध हो या कोई अन्य देश अपना दखल बढ़ा ले परन्तु यह निश्चित है कि झेलना तो दोनो को ही होगा क्योंकि गृहयुद्ध की स्थिति में दोनों आपस में कटेंगे और मरेंगे और यदि दूसरे देश का दखल हुआ तो भी दोनों को ही कटना मरना है। याद करें मुगल आए तो हिंदू काटे गए उनकी औरतों का बलात्कार हुआ संपत्ति लूटी गई धर्मांतरण हुआ परन्तु अंग्रेज आए तो क्या हुआ? अंग्रजों ने दोनों को लूटा और बँटवारे के बाद पाकिस्तानी हिंदुओं के साथ भी वैसा ही हुआ जैसा भारत में मुगलों ने हिंदुओं के साथ किया था। इतना ही नहीं  भारत से जो मुस्लिम पाकिस्तान लड्डू खाने गए थे आज तक दूसरे दर्जे के नागरिक हैं वहाँ पर और मुहाजिर कहलाते हैं। अरब का मुसलमान तो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमान को दोगलापन मानता है। परन्तु यहाँ हमने उनकी जेहादी मानसिकता को पोषण देकर हालात बद से बदतर कर लिए हैं जो आज गले की फाँसी जैसी चीज बनती जा रही है। हम सुधरेंगे ऐसा तो बिलकुल नहीं लग रहा है।

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