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अपने-अपने आराध्यों को श्रेष्ठतम कहने वाले बताएंगे कि वे किस आधार पर यह बकवास करते हैं। अरे, आज तक दुनिया में कोई भी हिंदू, मुसलमान, ईसाई या अन्य कोई पैदा हुआ है क्या? किसके आराध्य ने उसके धर्म का जीव पैदा करने का कारनामा कर दिखाया है, कोई प्रमाण देगा क्या?
आज तक मैंने तो बस मानव ही पैदा होते देखे हैं। इन मानवों को लालची, स्वार्थी और शायद अब अपराधी किस्म के लोग कहीं खतना करके, तो कहीं बपतिस्मा करके और कहीं तिलक लगाकर हिंदू, मुसलमान, ईसाई या ऐसे ही कुछ और बना देते हैं। भूल जाते हैं वसुधैव कुटुंबकम का मंत्र, जो महान ज्ञानियों, ध्यानियों, ऋषियों, मुनियों ने दिया था, क्योंकि अब तो किसी पर बाइबिल का तो किसी पर कुरान का नशा चढ़ा है। जिसमें लिखी बातों की या तो समझ ही नहीं है या फिर उन बातों को कुछ ज्यादा ही समझ लिया गया है।
भारत में तो पैदा होते ही हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई नहीं, बल्कि जातियों और उपजातियों की घुट्टी पी कर लोग इनसान से हैवान बन जाते हैं। इसी का दुष्परिणाम है कि एक मुसलमान या दलित जब सैनिक के रूप में देश के लिए बलिदान देता है, तो उसको कोई पूछने वाला नहीं होता। परन्तु जब देश के खिलाफ या समाज को तोड़ने की साजिश करने वाले कुंठा में आत्महत्या भी करते हैं, तो वो शहीद बना दिए जाते हैं।
यह सब क्यों हो रहा है? क्योंकि गाधी-नेहरू ने अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए देशभक्तों को किनारे लगवा दिया और देश को आजाद नहीं होने दिया। देश को हमारे क्रांतिकारी स्वतंत्र न करवा सकें और सत्ता का सुख इनके हाथों से चला न जाए, इसलिए अंग्रेजों की शर्तों पर देश की सत्ता का हस्तान्तरण इन लोभियों ने अपने हाथों में करवा लिया। आधी रात की आजादी आज तक आधी ही है और आधी ही रहेगी भी।
आज तक देश पर राज करने वाले या तो अंग्रेज मानसिकता के थे या फिर सामंतवादी और राजशाही। आज देश को एक शासक मिला है, जो पूरी तरह न सही फिर भी काफी हद तक भारतीय सोच रखता तो है और इसलिए यह व्यक्ति देश के लिए कुछ कर भी सकता है। निर्णय हम या आप नहीं वक्त करेगा, इसलिए देशहित में हम अपनी सेवाएं दें न कि निर्णय
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