एक विश्वास
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प्यास प्यास प्यास बस प्यास ही रह गई है,
दुनिया में अच्छाई की बस आस रह गई है।
ये अपराध कुछ नहीं बस खबर है रोज की,
इसे देखते जाएँ अभी बात खास रह गई है।
तुमने ठुकरा दी मेरी मोहब्बत तो क्या हुआ,
तेरे यादों की दौलत तो मेरे पास रह गई है।
इश्क हो के टूट गया तो टूट गया लेकिन,
अंतिम अभी बाकी वो मुलाकात रह गई है।
तेरे साँसों की गर्मी जो दिल का चैन थी वो,
चोट बन कर दिल का एहसास रह गई है।
ये समय का प्याला है छलकता ही जाएगा,
किसे क्या मिले बस इक कयास रह गई है।
जीने को क्या रहा अब रुसवाइयों के बाद,
अब ये जिंदगी भी तो बदहवास रह गई है।
है तुम्हारी बेरुखी का कुछ इलाज ही नहीं,
बस ये टीस जिंदगी में बेहिसाब रह गई है।
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