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गज़ल

एक विश्वास
एक विश्वास
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कौन जानता है कि बेईमान जला करते हैं।

जलते हैं तो जग में ईमान जला करते हैं॥

सुनता हूँ कि नर्क में शैतान जला करते हैं।

धरती पर तो देखा भगवान जला करते हैं॥

चूल्हा रोज जले तो तुम समझोगे कैसे भाई।

गुरबत में तो बस ये अरमान जला करते हैं॥

आकर कभी देखो तो राजपथ के मुसाफिर।

दुनिया में बेबस ही इनसान जला करते हैं॥

मरना तो है सबको ऐ दुनिया वालों लेकिन।

जलते हैं जब भी बस बेजुबान जला करते हैं॥

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