Menu
blogid : 5061 postid : 1340354

काहे का लोकतंत्र!

एक विश्वास
एक विश्वास
  • 149 Posts
  • 41 Comments

इससे बड़ा भारत का दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि यहाँ चुनाव लड़ना तो छोड़िए मंत्री बनने के लिए भी किसी शैक्षिक या अन्य योग्यता की आवश्यकता नहीं है।
कोई जेल से चुनाव लड़ रहा है तो कोई पैसे से वोट खरीद कर और किसी को पता नहीं है कि वो दे किसे रहा है वोट, बस देना है तो दे आए पार्टी या जाति या धर्म देख कर।
कल अगर कोई किसी कुत्ते या सुअर तो चुनाव लड़वाकर उसको जीत हासिल करवा दे कल अगर कोई किसी कुत्ते या सुअर तो चुनाव लड़वाकर उसको जीत हासिल करवा दे तो?
तो क्या भइया, संविधान महीं यह लिखा है क्या कि कुत्ते या सुअर चुनाव नहीं लड़ सकते हैं?
क्या कर लोगे, सर्वोच्च न्यायालय जाओगे तो जाओ वहाँ से तो डाँट कर भगा दिए जाओगे क्योंकि वहाँ भी तर्क होगा कि संसद और विधान सभाओं में आज बैठे कौन हैं? दो पैर पर चलने से कोई इंसान हो जाता है क्या?
कर्म देखा करे, समान कर्म वालों का अधिकार भी समान होना चाहकर्म देखा करे, समान कर्म वालों का अधिकार भी समान होना चाहिए।
तो फैसला किसके पक्ष में होगा समझ गए न।
जय हिंद।
जय हो अंबेडकर के कापी पेस्ट वाले संविधान महाराज की जो जो सभी जीवों को एक मानता है। सभी सुकर्मी और दुष्कर्मी को बराबर का अधिकार देता है और इससे भी बढ़ कर आम जनता को कूड़ा करकट और आतंकियों को बिरयानी और पुलाव देता है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh