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कविता

एक विश्वास
एक विश्वास
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ये जिंदगी है
मस्त है बेफिक्र है,
हर रंज ओ गम से बेगानी है;
हँसती है खिलखिलाती है,
सब की उम्मीद बन मुस्कराती है।
ये जिंदगी है,
इसकी यही कहानी है।
दुनिया, इसकी दीवानी है।
यही जिंदगी की परिभाषा है,
कि ये सब की आशा है।
ये जिंदगी है
समय का खेल है,
इसमें ठेलमठेल है।
यह हँसाती है कभी
तो कभी रुलाती है,
ये सपनों को सजाती है, तोड़ जाती है
और उम्मीदों को
रोज नए मोड़ पर छोड़ जाती है।
बड़ी बेरहम है ये जिंदगी
इसमें सवालों के घेरे है,
कुछ दुख भी घनेरे है;
जिंदगी महज प्रत्याशा है
वरना इसमें निराशा है।
ये जिंदगी है
ये एक खिलौना है।
कुदरत का बिछौना है।
ये कभी छलती है
कहीं सपनों में पलती है;
मगर लोग
अपनी धुन में खोए हैं,
कभी हँसे कभी रोए हैं।
अभी सीने से लगाए थे जिसे
उसकी ही यादों से,
अब अलग खोए हैं।
उधर अर्थी सजी है
इधर छीना झपटी मची है
जिंदगी तेरा कोई ठिकाना है?
या बस यूँ ही आना जाना है?
वाह रे जिंदगी,
तुझे कुदरत ने खूब तराशा है।
तू कैसे समझ में आए?
तू तो अजब तमाशा है।

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