Menu
blogid : 5061 postid : 1340382

खतरे में पीएम

एक विश्वास
एक विश्वास
  • 149 Posts
  • 41 Comments

प्रधानमंत्री मोदी को राजीव गाँधी की हत्या वाले तरीके से मारने की साजिश का पर्दाफ़ाश हुआ है। बात साफ है कि सारे विरोधी खुश होंगे ही वैसे तकलीफ़ ही उनको ज्यादा हुई होगी कि यह खुलासा समय से पहले क्यों हो गया है? आरक्षण वाले, पंद्रह लाख वाले, अच्छे दिन वाले, अभिव्यक्ति की आजादी वाले, भारत के टुकड़े की आस वाले ये सारे भिखारी अगर सोच रहे हैं कि खुलासा न होता घटना के अंजाम से पहले तो अच्छा होता तो वो सही हैं क्योंकि यही तो आजतक किया है इन्होंने। अगर ये लोग कहते हैं कि लोकप्रियता के लिए स्टंट है तो भी ठीक है क्योंकि यही दुष्प्रचार तो इनका पेशा रहा है कभी अपने हित में तो कभी विरोधी के अहित के लिए।

 

 

काँग्रेस की बौखलाहट समझ नहीं आई कि मोदी ने यह खबर बनाई है घटती लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए तो मैं यही कहूँगा कि
कोई इनसे प्रभावित नहीं होता। अगर होता है तो क्या यह दुष्प्रचार करनेवाले लोग ऐसे में मोदी को वोट देंगे? कभी नहीं देंगे क्योंकि ऐसा होता ही नहीं है। यहा वोटिंग के सबके अपने स्वार्थ हैं अपना लालच है और नफा नुकसान है। दूसरी बात कि लोकप्रियता का कम होना तो यह बात तो मोदी विरोधियों पर ज्यादा लागू होती है क्योंकि उनका तो अस्तित्व ही खतरे में है। तीसरा मनगढ़ंत कहानी बनाने की बात तो यह भी मोदी विरोधी ही विशेषज्ञता से कर पाते हैं। उदाहरण के लिए काँग्रेस ने हिंदू आतंकवाद की कहानी गढ़ी तो लालू ने बताया कि गोधरा में तो कारसेवकों ने स्वयं ही अंदर से आग लगा कर जान दी थी न कि मुसलमानों ने बाहर से आग लगाई थी।

 

चौथा यह कि सरकार दोषियों को बचा रही है तो काँग्रेस और उसके सहयोगी सोचें कि राजीव के हत्यारे रहे हों या सिखों के कत्लेआम के दोषी या फिर माया मुलायम ममता लालू के पले हुए भेड़िए सब को अपराध करवाने के बाद बचाया ही गया है वरना यह स्थिति यहाँ तक आती ही नहीं। मोदी विरोधी तो भगतसिंह को फाँसी चढ़ावा कर देश आजाद करवा रहे थे, ये चंद्रशेखर आजाद की मुखबिरी करके और नेताजी बोस का सौदा करके देश हड़पने की चाह लिए भेड़िए थे जो आजादी की लड़ाई के नाम पर देश को गुलाम बनाए रखने की साजिश करते रहे थे और करते जा रहे हैं।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh