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टूटकर अरमान सारे रह गए !

मंजिल की ओर
मंजिल की ओर
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टूटकर अरमान सारे रह गए
दिल के दर्द दिल में हमारे रह गए

किस बात पर खफा थे हमसे, क्यों नहीं वो कह गए
गम गर था उन्हें, अकेले ही कैसे सह गए

जाते – जाते मुस्कुरा के पता नही, क्या कह गए
हंसी उनके आज भी पहेली बनकर रह गए

खो गए वो , न जाने कब कहाँ
लौट आयेगे अभी वो, सोचकर के रह गए

सोच रहे थे मन की बातें , कह देंगे उनसे कभी
पता नहीं हम कैसे, उनसे कहते – कहते रह गए

गुजर गए लम्हे गुज़री यादें मगर
बात कुछ बाकी हमारे रह गए

तुकडे -तुकडे बट गए हम तो अम्बर
क्या करें अंजली फैलाये रह गए

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