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मेरी माँ
आँखों में जो नीर लिए भी
औरों खातिर हंस लेती है
मेरी सारी पीडाएं भी
अपने तन से सह लेती है
वो मेरी मेरी माँ है – वो मेरी मेरी माँ है
असीम प्यार आँचल में जिसके
गीतों में दुःख भुला देती है
स्वयं जागकर रात – रात भर
गोद में मुझे सुला देती है
वो मेरी मेरी माँ है – वो मेरी मेरी माँ है
वह सन्यासिनी,तपस्विनी , काली
विघ्नों को जो हरा देती है
अदम्य साहस के बल पर जो
बाधाएं पार करा देती है
वो मेरी मेरी माँ है – वो मेरी मेरी माँ है
ईस के बाद जो इस धरा पर
देवी की साक्षात् मूर्ती है
प्रेरणा स्रोत सुधा का सागर
सृती की जो अमूल्य करीती है
वो मेरी माँ है -वो मेरी माँ है
वह जिसके चरणों में
देवगन भी शीश झुकातें हैं
कैसी करीती है माँ धरा की
स्वयं भी अस्चर्या जताते हैं
वो मेरी माँ है – वो मेरी माँ है
वह जिनके चरणों में मेरा
अब कोटी – कोटी प्रणाम है
आज एक बेटे का जीवन
जिसके लिए निसार है
वो मेरी माँ है – वो मेरी माँ है
आशुतोष कुमार
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