मंजिल की ओर
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हे !विघ्नों के तारनहार
जीवन पथ के हे मार्ग द्वार
हे ! परमपूज्य कमल चरणों में
शत -शत नमन कोटि- कोटि प्रणाम
हे ! परम ब्रह्म हे पूज्य पिता
वंदन अभीनन्दन करता हूँ
बताये हुए आपके ही पथ पर
ख़ुशी -ख़ुशी मैं चलता हूँ
बचपन में जो शैतानी की
पश्चाताप मैं करता हूँ
आपके कथनों को भूल न जाऊं
सोच – सोच के डरता हूँ
पकड़ – पकड़ के आपके अँगुलियों को
चलना जब याद आता है
आँखों से मेरे दो प्यार के
आंसू टपक ही जाता है
सोचता हूँ जब आपकी बातें
सब दुःख दूर हो जाता है
मिलता है फिर अजीव सकूँन
और मन कहीं खो जाता है
पापा मेरे भाग्य विधाता
अब दरिन प्रतीञ मैं करता हूँ
नही कभी दिग्भ्रमित होऊंगा
फिर वादा मैं आपसे करता हूँ
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