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अकाल से बदहाल : राजस्थान
राजस्थान का जिले बाड़मेर “भारत का अकाल घर” के नाम से जाना जाता है। बाड़मेर 1966 से पहले प्रमुख व्यापारिक मार्ग रह है ,बाड़मेर के 2712 गाँवों मे से 2206 गांवों मे अकाल की स्थिति बनी हुई है। 2712 गांवों की जनसंख्या करीब 3 लाख है, जिसमे से 11 गांवों के 7000 लोगो का जीवन-यापन कर पाना मुश्किल हो गया है। यहाँ के लोगो को दैनिक उपयोग के लिये जरूरत पानी को ये लोग 6 km पैदल चलकर जरूरत को पूरा करते है। यहाँ की इसी परिस्थिति के चलते करीब 400 जानवरों की मृत्यु हो चुकी है, अधिकतर जीव पलायन कर गये है। मानसून से भी स्थिति सामान्य नही हुई है। बाड़मेर टिन का प्रमुख भंडार केन्द्र है।
जिला जैसलमेर धरोहरों का स्थल कहे जाने वाले क्षेत्र मे भी यह स्थिति बनी हुई है, यही पर भारत का परमाणु पोखरण केन्द्र भी स्थित है। यहाँ पर पवन ऊर्जा पर बेहतर काम चल रहा है। जैसलमेर आकार क्षेत्र में केरल राज्य के समान है। अधिकतर क्षेत्र रेगिस्तान है, यहाँ का तापमान 55.9 डिग्री तक पहुँच जाता है। इतनी गर्मी में पानी जैसी समस्या के साथ यहाँ के लोगो का जीना दुर्लभ सा हो गया है, यहाँ के लोगो को कई मिलो तक पानी के लिये चल कर जाना पड़ता है। यहाँ के 114 गांवों की स्थिति दयनीय बनी हुई। इस परिस्थिति में भी यहाँ के गडीसर तालाब में पानी कम नही हुआ है।
जिला जोधपुर में भी स्थिति सामान्य से बद्द्तर बनी हुई है, यहाँ पर वॉटर ATM लगाकर लोगो को प्रति 20 लीटर पानी 5 रुपए की दर से उपलब्ध कराया जा रहा है। विष्णुकुण्ड यहाँ के लोगो और जानवरों के लिये पानी का एक मात्र सहारा है। वर्षा की कमी के चलते यहाँ चारागाह नष्ट हो चुके है, यहाँ के जानवरों का र्क मात्र सहारा खेतडी है। मानसून के बाद भी यहाँ स्थित बद्द्तर बनी हुई है।
– आशुतोष सिंह
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