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वाणिज्य कर विभाग से सम्बंधित ब्लॉग में मैंने चर्चा की थी कि किस प्रकार से विभाग के लोग व्यापारियों के पत्रावलियों को गायब कर के उनको तरह तरह से त्रस्त कर के पैसे वसूलने के तरीके खोजते हैं . नोटिस भेजने के लिए कोई कारण नहीं खोजना पड़ता है और फैसले भेजने के लिए व्यापारियों का दोहन कर कर के
उनको त्रस्त दिया जाता है . इस पुनीत कार्य में अधिकारी , कर्मचारी से लेकर तथाकथित अधिवक्ता भी सम्मिलित रहते है .
उत्तर प्रदेश के सारे ही व्यापारी संभवतः मेरे विचार से सहमत होंगे कि वाणिज्य कर विभाग को या तो अपनी प्रक्रिया सुधारनी चाहिए और व्यापारी का दोहन
बंद कर के मित्रवत व्यवहार करना चाहिए . अन्यथा किसी दिन ऐसा भी हो सकता है कि सारे व्यापारी अपना काम बंद कर के वाणिज्य कर विभाग पर स्थानीय ताले लगा दे और सीधे केंद्र सरकार को ही सूचित करना आरम्भ कर दे .
केंद्र सरकार से भी मेरा विशेष अनुरोध है कि वस्तु एवं सेवा कराधान प्रणाली को शीघ्र आरम्भ करें , और इस प्रकार के दोहन पर रोक लग सके . व्यापारी वर्ग यदि एक स्थान पर कर दे कर व्यापार शांति पूर्वक कर सके तो पूरे देश के व्यापार में अभूतपूर्व सुधार होगा और सरकारों को भी इसका पूरा लाभ मिल सकेगा .
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