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जब से होश संभाला है और स्वतंत्र रूप से घूमना और सोचना शुरू किया है , तब से एक स्थिति को देख देख कर परेशान हूँ कि गोरखपुर और उसके आस पास जितने भी थाने है वहां अनगिनत गाड़ियां बहुत खराब हालत ,में थाने के अंदर या बाहर खड़ी रहती है जिनका कोई जिम्मेदार नहीं होता है . थाने के अधिकारी भी शायद ध्यान नहीं देते है कि इससे रास्ता जाम भी होता है और थाने के अंदर और बाहर बहुत गन्दगी भी इकठ्ठा होती रहती है .
अकेले शाहपुर थाने पर ही सैकड़ो दो पहिया वहां अंदर है और लगभग उतने चार पहिया वाहन बाहर खड़े है और अपने दुर्दिन गिन रहे है . बहुत से ट्रक ऐसे भी है जो महीनो से यहाँ पड़े है और काफी दिन इंतज़ार करने के बाद पुलिस ने उनको मुख्य सड़क से हटा कर किनारे करवाया है जिससे रास्ता खुल गया परन्तु कुछ ही दिन बाद कुछ और गाड़ियां आ गयी.
यद्यपि यह पुलिस की कार्यवाही का हिस्सा है कि जो वाहन गैर कानूनी ढंग से चल रहे है या उनसे गैर कानूनी काम रहा है तो उनका चालान कर के थाने पर जमा करे और अदालत में उस वाहन के स्वामी और वाहन के खिलाफ साक्ष्य प्रस्तुत करे और निर्णय के अनुसार कार्य करे . परन्तु मुझे ऐसा लगता है कि बहुत से वहां स्वामी अपने वाहन को छुड़ाने भी नहीं आते हैं . जिससे गाड़ियों का जमावड़ा लगते जाता और अंत में सब सड़ने के कगार पर पहुँच जाती है और रास्ता और जगह ख़राब करती है .
मेरी तो अधिकारीयों से विनती है कि जितनी भी गाड़ियां काफी समय से खड़ी है उनको विभागीय प्रमुख से आज्ञा या अदालत से आज्ञा लेकर उनको नीलाम कर दे और उस थाने के कर्मचारियों और अधिकारियों के सुविधा बढ़ाने के सन्दर्भ में कुछ ठोस प्रयास करे और जो थाने जर्जर है या जहाँ वर्षो से मरम्मत या रंग रोगन या पुनरुद्धार कार्य नहीं हुआ है वहाँ के लिए पर्याप्त कोष की व्यवस्था कर दे .
यदि सारे प्रदेश में ये कार्य हो जाय तो पूरे प्रदेश के थाने सुविकसित हो जायेंगे और गन्दगी का अम्बार भी ख़त्म हो जाएगा .परन्तु इसके लिए कुछ कानूनी प्रस्ताव लाने होंगे और उस पर सख्ती से अमल करना होगा .
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