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क्या कोई भी व्यक्ति किसी भी एशियाई गेम्स की क्रिकेट प्रतियोगिता की कल्पना भारत के बिना कर सकता है? हम में से बहुत से लोग इस सवाल को न्यायसंगत ही नहीं मानते क्योंकि हम सभी जानते हैं कि भारत और क्रिकेट एक सिक्के के दो पहलू हैं. भारत में क्रिकेट खेल नहीं बल्कि धर्म है यहां क्रिकेटर को देवताओं की तरह पूजा जाता है और तब अगर हम यह सवाल पूछते हैं तो शायद कुछ अटपटा लगता है.
भारत में क्रिकेट के प्रति यही धारणाएं हैं. लेकिन इस बार हमारे सारे तथ्य धरे के धरे रह गए क्योंकि भारत 16वें एशियाई खेलों की क्रिकेट प्रतियोगिता में भाग नहीं ले रहा है.
16वें एशियाई खेलों में क्रिकेट
2010 के एशियाई खेल को जिनको आधिकारिक रूप से 16वें एशियाड के नाम से भी जाना जाता है इस बार 12 नवम्बर से 27 नवम्बर के बीच ग्वांगझाऊ चीन में होंगे. ग्वांगझाऊ चीन का दूसरा शहर है जो एशियाई खेलों का आयोजन करवाएगा. इससे पूर्व एशियाई खेल 1990 में भी चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित हो चुके हैं. ग्वांगझाऊ चीन में होने वाले 16वें एशियाई खेल में कुल मिलाकर 42 खेलों में 476 स्पर्धाएं होंगी यानी 2008 के बीजिंग ओलंपिक से 14 ज़्यादा जिससे यह शताब्दी का सबसे बड़ा खेल आयोजन बन जाएगा.
इस बार के एशियाई खेलों में क्रिकेट उन पांच खेलों में से एक है जिसका आयोजन पहली बार एशियाई खेलों में होगा जिसमें पुरुष और महिला क्रिकेट की दोनों श्रेणियों को रखा गया है. क्रिकेट को एशियाई खेलों में शामिल करने का प्रस्ताव एशियाई ओलंपिक परिषद ने कुवैत की महासभा में अनुमोदित किया था. एशियाई खेलों में क्रिकेट टी20 फॉर्मेट से खेले जाएंगे जिसमें श्रीलंका, पाकिस्तान, बांगलादेश और मेजबान चीन की टीमें भाग लेंगी.
हालांकि पहले भारत ने एशियाई खेलों की क्रिकेट प्रतियोगिता में अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम भेजने की प्रतिबद्धता जताई थी परन्तु अंत समय में भारत ने “अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं”” के चलते भाग लेने से इंकार कर दिया है. जबकि दूसरे टेस्ट मैच खेलने वाले देश अपनी सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध टीम भेजेंगे.
यह पहली बार नहीं है कि क्रिकेट को किसी बहुराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में सम्मिलित किया गया है. इससे पहले मलेशिया में आयोजित हुए 1998 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी क्रिकेट को सम्मिलित किया गया था इसके अलावा दक्षिण प्रशांत खेल ने कई वर्ष पूर्व से ही क्रिकेट को अपने आयोजन में सम्मिलित किया हुआ है.
लेकिन क्या यह न्यायसंगत है कि हमें क्रिकेट को किसी बहुराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में सम्मिलित करना चाहिए? राष्ट्रमंडल खेलों में हम इसका हश्र देख ही चुके हैं अब क्या एशियाई खेलों की बारी है. क्या होगा एशियाई क्रिकेट का भारत के बिना?
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