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एशियन गेम्स में भाग लेने आए खिलाड़ी आजकल कुछ परेशान दिख रहे हैं. खेलों में अच्छा प्रदर्शन न करना या आयोजकों द्वारा अच्छी सुविधाएं मुहैया न कराना उनकी परेशानी का कारण नहीं है. वह तो परेशान चियरलीडर्स या खेलों में उत्सुकता बढाने वाली अप्सराओं से हैं.
एक अप्सरा मेनका थी जिसने विश्वामित्र की तपस्या भंग की थी और एक अप्सराएं ये हैं जो खिलाड़ियों की एकाग्रता को भंग कर रही हैं.
एशियन गेम्स में भाग लेने आए खिलाड़ियों का कहना है कि उनके हारने की एक वजह यह चियरलीडर्स भी हैं. यमन के खिलाड़ी तो चियरलीडर्स की इन अदाओं से इतने परेशान हैं कि उन्होंने इनकी शिकायत तक कर दी है. गौरतलब है कि स्टेडियम में खेल देखने आए दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए आयोजकों ने चियरलीडर्स के चार ग्रुप बनाए हैं. जिनमें से हर ग्रुप में स्विमसूट या बिकनी पहने आठ-आठ लड़कियां हैं, जो ब्रेक के दौरान डांस और मार्शल आर्ट से दर्शकों का मनोरंजन करती हैं. मनोरंजन तो क्या करती हैं खिलाड़ियों को अपनी अदाओं से परेशान करती हैं.
गौर करने वाली बात यह है कि यह पहली बार नहीं हुआ है कि इन चियरलीडर्स से खिलाड़ियों या दर्शकों को आपत्ति हुई है. आईपीएल के मैचों के दौरान भी यह देखा गया था कि चियरलीडर्स की अदाओं और कपड़ों से बहुत से लोग परेशान थे. इतना ही नहीं जयपुर में होने वाले आईपीएल के मैचों में इन पर बहुत हद तक रोक भी लगायी गयी थी.
चियरलीडर्स का यह चलन नया नहीं है. अमेरिका में होने वाले बास्केटबॉल, नेशनल फुटबॉल लीग और बेसबॉल के मैचों में चियरलीडर्स कई दशकों से अपना जलवा बिखेरती आ रही हैं. वहां के लोगों ने इनके बारे में कभी भी कोई दिक्कत महसूस नहीं की लेकिन ऐसा एशिया उपमहाद्वीप में ही क्यों देखने को मिल रहा है. शायद इसका कारण यहां के देशों की सभ्यता और संस्कृति है. जिसमें अश्लीलता को कभी नहीं अपनाया गया और खेलों के माध्यम से चियरलीडर्स के नाम पर पैसा बटोरना एक अश्लील धंधा ही तो है.
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