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यूं ही नहीं कोई बनता है महाशक्ति

एशियाई खेल
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China Asian Games Athleticsएशियन गेम्स का 13वां दिन और 181 स्वर्ण. जहां भाग लिया वहां जीते. एकल स्पर्धा से लेकर टीम स्पर्धा सभी में पदक जीते. दूसरे देश जो 16वें एशियन गेम्स में भाग लेने आए थे वह तो केवल दूसरे स्थान के लिए लड़ रहे थे क्योंकि पहले स्थान पर तो मोहर लगाकर आए थे चीन के खिलाड़ी.

यह पहली बार नहीं है कि चीन ने एशियन गेम्स में स्वर्ण पदकों की झड़ी लगा दी है. आप पिछले एशियन गेम्स की पदक तालिका खोलकर देख लें पहले स्थान पर तो चीन का ही दबदबा रहा है. यही नहीं पिछले बीजिंग ओलंपिक खेलों में भी चीन ने पहला स्थान हासिल किया था.

जनसंख्या के आधार पर चीन विश्व का सबसे बड़ा राष्ट्र है. आज वाणिज्यिक, व्यापार, तकनीकी और खेल सभी क्षेत्रों में एक महाशक्ति बन उभर रहा है. किसी भी अंतराष्ट्रीय मंच में चीन सबसे आगे रहने की नीति का पालन करता है और यही कारण है कि एशियन गेम्स में भी वह नंबर एक स्थान पर है. अगर हमारी मानें तो हम इसे जादू कहना पसंद करेंगे. लेकिन चीन तो इसे अपनी कड़ी मेहनत और लगन का फल कहता है.

खेल और चीन

Asian Gamesचीन खेलों को भी उतनी ही गंभीरता से लेता है जितना व्यापार और सुरक्षा को लेता है. जिन बच्चों की खेल के प्रति रूचि रहती है उन्हें बचपन से ही विशेष देख-रेख में रखा जाता है. वहां उन्हें खेल की सभी बारीकियों, अच्छी खुराक के साथ-साथ आत्मविश्वास बढ़ाने के गुण भी सिखाए जाते हैं. सुविधाओं से लैस खिलाड़ियों को सिर्फ अपना ध्यान खेल में रखना होता है, जिसके कारण वह सभी जगह अच्छा प्रदर्शन करते हैं.


खेलों में चीन के वर्चस्व का सबसे बड़ा कारण चीन की जनसंख्या है जिसको यहां के नेता और लोगों ने हथियार बनाकर उपयोग करना सीख लिया है. भले आप गरीब हों, किसी खेल में निपुणता पाने के लिए आपके पास पैसे ना भी हों, लेकिन अगर आपके पास प्रतिभा है तो चीन में आप का पूरा ख्याल रखा जाता है. और इन सभी अथक प्रयासों का ही कारण है इतने सारे स्वर्ण पदक.

वहीं भारत में अगर कोई खेल में कॅरियर बनाना चाहता है तो सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि खिलाड़ी तो बन गए लेकिन कमाएं कैसे. खिलाड़ियों को सुविधाएं तो छोड़ो एक अच्छी नौकरी भी नहीं मिलती. पैसे की कमी, सुविधाओं की कमी, अच्छे कोचों की कमी कुछ ऐसे कारण हैं जिससे खिलाड़ी हतोत्साहित होते हैं और हतोत्साहित खिलाड़ी से आप पदक की उम्मीद नहीं कर सकते.

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