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एशियन गेम्स में हॉकी प्रतियोगिता एक ऐसी स्पर्धा है जिसमें अगर आप जीतते हैं तो आप स्वचालित रूप से ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लेते हैं. अतः एशियन गेम्स की हॉकी प्रतियोगिता में जीतने से आपको मिलते हैं दोहरे फायदे. ऐसे में एक सवाल जो उठता है कि क्या भारत हॉकी में स्वर्ण पदक जीत ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर पाएगा?
भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है परन्तु पिछले ओलंपिक में हम हॉकी के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाए थे. भारतीय हॉकी इतिहास में यह दिन काला दिन माना जाता है क्योंकि इतिहास गवाह है कि जो ख्याति मेजर ध्यानचंद और के डी सिंह बाबू ने भारत को हॉकी में दिलाई थी उसका कोई तुल्य नहीं है. अब तक हुए हमने ओलंपिक की हॉकी प्रतियोगिता में आठ स्वर्ण पदक जीते हैं जबकि एशियन गेम्स में यह आंकड़ा दो का है. और अगर ऐसे में हमें हॉकी में काला दिन देखना पड़े तो यह गवारा नहीं है.
लेकिन अब वह दिन चला गया है. उसके बाद हमने अज़लान शाह टूर्नामेंट जीती, हम एशियन हॉकी चैम्पियन बने और राष्ट्रमंडल खेलों में भी हमने अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया जब हमने रजत पदक जीता. भले फाइनल मुकाबले में हमें मुंह की खानी पड़ी हो लेकिन तब से लेकर अब तक हमारा प्रदर्शन संतोषजनक रहा है.
इस बार भी एशियन गेम्स में हमने शानदार प्रदर्शन किया है. अपने पहले दो मैचों में हमने हांगकांग और बंगलादेश को बुरी तरह रौंदा फिर ग्रुप के सबसे महत्वपूर्ण मैच में अपने सबसे चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 3-2 से हरा सेमीफाइनल में क्वालीफाई किया. सेमीफाइनल में भारत का मुकाबला मलेशिया से होने वाला है. हालांकि ऐसी आशा है कि हमें मलेशिया को हराने में ज़्यादा मशक्कत नहीं होनी चाहिए लेकिन फिर भी किसी भी टीम को हलके में लेना हमारी भूल हो सकती है.
ग्रुप के अंतिम मुकाबले में हमने ऐसी ही भूल की थी और जापान को हलके में आंका था. जिसका खामियाजा शायद हमें हार से मिलता लेकिन दूसरे हाफ़ में लगता है कोच ब्रासा का डंडा सभी खिलाड़ियों पर चला और अंततः हमने जीत हासिल की. लेकिन अब अगर हमने ऐसी भूल की तो शायद हमें ओलंपिक से भी हाथ धोना पड़ सकता है.
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