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अभी तक एशियन गेम्स में 7 स्वर्ण पदक के साथ हम दसवें नंबर पर हैं. एक-एक पदक के लिए हमने बहुत मेहनत की है लेकिन लगता है कि आज शायद यह मेहनत रंग लाए.
मुक्केबाजी में विश्व नंबर एक विजेंदर सिंह के साथ-साथ नप्रीत, दिनेश कुमार, संतोष कुमार और विकास कृष्ण ने भी फाइनल में जगह बना ली है. परन्तु मुक्केबाजी में अफसोस की बात यह रही कि पांच बार की महिला विश्व चैम्पियन मैरी कॉम सेमीफाइनल में हार गई. इसके अलावा छोटे टायसन से नाम से मशहूर सुरंजय सिंह भी फाइनल में जगह नहीं बना पाए.
गति, फुर्ती और ताकत के खेल मुक्केबाज़ी में अगर हम जीतते हैं तो पदक तालिका में हम छठे स्थान पर पहुंच जाएंगे. और वहीं पर तो पहुंचने का सपना लिए हम चीन गए थे.
कबड्डी में अजेय
भारत, एशियन गेम्स और कबड्डी तीन अलग-अलग चीजें हैं परन्तु तीनों को एक-दूसरे का पूरक कहना गलत नहीं होगा. कबड्डी में हम अजेय हैं और ऐसा ही चलता रहा तो भीम की यह सेना अजेय रहेगी. आज सेमीफाइनल में हमने जापान को एकतरफ़ा मुकाबले में हरा दिया. सेमीफाइनल मुकाबले देख ऐसा लग रहा था कि भारतीय कबड्डी टीम सिर्फ औपचारिकता पूरी करने आई है. अब फाइनल में हमारा मुकाबला ईरान से होगा जिसने दूसरे सेमीफाइनल मुकाबले में पाकिस्तान को हरा दिया.
एशियन गेम्स में हमारे लिए अभी तक रविवार का दिन सबसे अच्छा था. लेकिन आज का दिन रविवार से भी अच्छा हो सकता है. मुक्केबाज़ी, कबड्डी, एथलेटिक्स में हम ज़रूर स्वर्ण पदक जीतना चाहेंगे.
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