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राजस्थान के शहर जयपुर की मकर संक्रांति देखने और मनाने योग्य है.गर्मी में तापमान की सीमा जहां पचास के आसपास पहुँचती है वही मकर संक्रांति के आसपास तीन चार चार के बीच में घूमता रहता है.लोगो को रजाइयों से निकालने के लिए सूर्य दर्शन करने के लिए घर घर की छत पर रानीं पतंगे और डोर वो काटा वो लूटा वो लापता की मिली जुली धुनें और बड़ी बड़ी आवाज वाले भोंपू हर किसी की छत पर रखे मिल जायेंगे.राजस्थानी धुनों के पतंग वाले गाने चल रहे होंगे और जिसे देखो हाथ में मज्जे और चरखी के साथ पतंगों की डोर लपेटने ढीली करने में लगा होता है.
वैसे तो मकर संक्रांति पर बहुत ही तेज मिर्च मशाले की मूंग की दाल की पकौड़ी बनाई जाती है शरीर में गर्मी देने के लिए तिल और गुड की मिली पापडी भी बनाई जाती है घर के अन्दर बनाने वाली तिल पापडी की खुशबू छत पर भी जा रही होती है.इस दिन धार्मिक पर्व होने के कारण सुबह सुबह को नहाना भी पड़ता है इसलिए भी ठन्डे पानी से नहाने के बाद भी शरीर में गर्मी लाने के लिए घर की छत पर धुप का आनंद भी मिलता है और रंगीन आसमान पर पतंगों की छठा भी देखने को मिलाती है.
मकर संक्रांति के अवसर पर लोग आसपास के तीर्थ स्थानों पर भी जाते है अक्सर मद्य प्रदेश में नर्मदा के तट पर स्नान करने की एक अजीब सी स्थिति को भी देखा जा सकता है.ठण्ड के मौसम में यह पता नहीं होता है की कितनी ठण्ड है और कितना ठंडा पानी है लेकिन लोग नहाने की अपनी धुन के अन्दर नर्मदा में घुस जाते है और ठन्डे पानी में नहाते ही शरीर से निकलने वाली भाप से आच्छादित होकर जय जय के नारे लगते हुए ठण्ड को कम करने की कोशिश करते है कई धर्म भीरु लोग किनारे पर आग का अलाव भी लगा देते है कई धार्मिक लोग भोजन और खिचडी बांटने का कार्य भी करते है.
आप सभी को मकर संक्रांति और लोहड़ी की बहुत सी शुभकामनाये.
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