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चंद्र ग्रहण व सूर्य ग्रहण 2020

KAUSHAL PANDEY
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चंद्र ग्रहण व सूर्य ग्रहण :- पंडित कौशल पाण्डेय

 

चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण जून के महीने में लगेंगे दो ग्रहण :-
देश दुनिया के लिए शुभ संकेत नहीं लग रहा है 2020 का साल वैसे भी प्राकृतिक आपदाओं से घिरा रहेगा। भीषण बारिस , भूकंप , आंधी तूफान से जनजीवन प्रभावित रहेगा।

 

 

जून के महीने में दो ग्रहण लगने वाले हैं। पहला चंद्र ग्रहण लगेगा और उसके बाद सूर्य ग्रहण। वहीं जुलाई में फिर चंद्र ग्रहण लगेगा। कुल मिलाकर इस साल 5 ग्रहण लगने वाले हैं। जिसमें से एक चंद्र ग्रहण 10 जनवरी 2020 को लग चुका है और चार ग्रहण लगने वाले हैं।

 

 

इस साल का सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में लगेगा। 21 जून को लगने वाले ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले ही लग जाएगा। इस साल पड़ने वाले ग्रहण बहुत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। क्योंकि इन ग्रहण से मिथुन राशि के जातकों पर विशेष प्रभाव पड़ेगा। उस समय कुल छह ग्रह वक्री होंगे जो अच्छा संकेत नहीं हैं। कहा जा रहा है कि ग्रहण के कारण ग्रहों की ऐसी स्थिति विश्व भर के लिए चिंताजनक मानी जा रही है।

 

 

चंद्र ग्रहण तीन तरह के होते हैं पूर्ण चंद्र ग्रहण, आंशिक चंद्र ग्रहण व खंडच्छायायुक्त या उप छाया चंद्र ग्रहण। इनमें से पहले दो पूर्ण चंद्र ग्रहण व आंशिक चंद्र ग्रहण का ज्‍योतिषीय व धार्मिक महत्‍व है। पूर्ण चंद्र ग्रहण होने पर चंद्रमा पृथ्वी की छाया से ढक जाता है और उस तक सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता। आंशिक चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी की छाया से पूरी तरह नहीं ढकता है। जबकि खंडच्छायायुक्त चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पर पृथ्वी की उप छाया ही पड़ती है। यह बाकी दोनों ग्रहणों की तुलना में कमजोर होता हे। इसमें न तो सूतक लगता है न ही इसका किसी तरह का ज्‍योतिषीय असर होगा।

 

 

5 जून 2020 चंद्र ग्रहण
उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण सूतक काल का प्रभाव कम रहेगा. लेकिन बहुत से लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं. जिस वजह से वो सूतक के नियमों का पालन भी करते हैं.
ग्रहण का समय रात्रि में 11 बजकर 15 मिनट से 6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा
कहां दिखाई देगा: भारत, यूरोप, अफ्रीक, एशिया और ऑस्ट्रेलिया

 

 

21 जून 2020 सूर्य ग्रहण
21 जून की सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर 15 बजकर 03 मिनट तक रहेगा. दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर इस ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव रहेगा. इसे भारत समेत एशिया और दक्षिण पूर्व यूरोप में देखा जायेगा.

 

 

 

5 जुलाई 2020 चंद्र ग्रहण
सुबह 08 बजकर 37 मिनट से 11 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. इस दिन लगने वाला ग्रहण अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अफ्रीका में दिखाई देगा. इसका प्रभाव भारत में बहुत कम रहेगा.

 

 

जानिए ग्रहण का सूतक कैसे लगता है

सूर्य व चंद्र ग्रहण का सूतक काल समय
सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है. सूतक काल में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं।
चंद्र ग्रहण में सूतक काल ग्रहण प्रारंभ से 9 घंटे पूर्व लगता है।

 

 

सूर्य ग्रहण के समय हमारे ऋषि-मुनियों के कथन
हमारे ऋषि-मुनियों ने सूर्य ग्रहण लगने के समय भोजन के लिए मना किया है, क्योंकि उनकी मान्यता थी कि ग्रहण के समय में कीटाणु बहुलता से फैल जाते हैं। खाद्य वस्तु, जल आदि में सूक्ष्म जीवाणु एकत्रित होकर उसे दूषित कर देते हैं। इसलिए ऋषियों ने पात्रों के कुश डालने को कहा है, ताकि सब कीटाणु कुश में एकत्रित हो जाएं और उन्हें ग्रहण के बाद फेंका जा सके।

 

पात्रों में अग्नि डालकर उन्हें पवित्र बनाया जाता है ताकि कीटाणु मर जाएं। ग्रहण के बाद स्नान करने का विधान इसलिए बनाया गया ताकि स्नान के दौरान शरीर के अंदर ऊष्मा का प्रवाह बढ़े, भीतर-बाहर के कीटाणु नष्ट हो जाएं और धुल कर बह जाएं।
पुराणों की मान्यता के अनुसार राहु चंद्रमा को तथा केतु सूर्य को ग्रसता है। ये दोनों ही छाया की संतान हैं। चंद्रमा और सूर्य की छाया के साथ-साथ चलते हैं।
चंद्र ग्रहण के समय कफ की प्रधानता बढ़ती है और मन की शक्ति क्षीण होती है,
जबकि सूर्य ग्रहण के समय जठराग्नि, नेत्र तथा पित्त की शक्ति कमज़ोर पड़ती है।
ग्रहण में क्या करें-क्या न करे
ग्रहण की अवधि में तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, मल-मूत्र त्याग करना, केश विन्यास बनाना, रति-क्रीड़ा करना, मंजन करना वर्जित किए गए हैं।
ग्रहण काल या सूतक में बालक , वृद्ध और रोगी भोजन में कुश या तुलसी का पत्ता डाल कर भोजन ले सकते है।
ग्रहण काल या सूतक के समय किसी भी प्रतिष्ठित मूर्ति को नहीं स्पर्श करना चाहिए।
ग्रहण काल में खासकर गर्भवती महिलाओं को किसी भी सब्जी को नहीं काटना चाहिए और न ही भोजन को पकाना चाहिए।
गर्भवती स्त्री को सूर्य-चंद्र ग्रहण नहीं देखने चाहिए, क्योंकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु अंगहीन होकर विकलांग बन सकता है, गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है।
इसके लिए गर्भवती के उदर भाग में गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाता है, जिससे कि राहु-केतु उसका स्पर्श न करें।
ग्रहण काल में सोने से बचना चाहिए अर्थात निद्रा का त्याग करना चाहिए।
ग्रहण काल या सूतक में कामुकता का त्याग करना चाहिए।
ग्रहण काल या सूतक के समय भोजन व पीने के पानी में कुश या तुलसी के पत्ते डाल कर रखें ।
ग्रहण काल या सूतक के बाद घर गंगा जल से शुद्धि एवं स्नान करने के पश्चात मंदिर में दर्शन अवश्य करने चाहिए।
ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरुरतमंदों को वस्त्र दान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
‘देवी भागवत’ में आता है कि भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिये
जैसा की हमारे धर्म शास्त्रों में लिखा है ग्रहण काल में अपने इष्टदेव का ध्यान और जप करने से कई गुना अधिक पुण्य मिलता है।
ग्रहण के समय में अपने इष्ट देव के मंत्रों का जाप करने से सिद्धि प्राप्त होती है।कुछ लोग ग्रहण के दौरान भी स्नान करते हैं। ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके ब्राह्‌मण को दान देने का विधान है
ग्रहण काल में जिनकी कुंडली में सूर्य देव तुला राशि में है ऐसे लोग सूर्य मंत्र का जाप करे और ग्रहण के उपरांत सूर्य को अर्घ देवे।

 

 

 

नोट : यह लेखक के निजी विचार हैं और इसके लिए वह स्वयं उत्तरदायी हैं।

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